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भूमि अधिग्रहण के साथ पुनर्वासन भी हो : व्यास जी

पटना: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण के साथ पुनव्र्यवस्थापन एवं पुनर्वासन होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल लोगों के कल्याण का सबसे बड़ा क ानून है. उन्होंने माना कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में पारदर्शिता बरती जानी चाहिए. उन्होंने 2013 के एक्ट […]

पटना: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण के साथ पुनव्र्यवस्थापन एवं पुनर्वासन होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल लोगों के कल्याण का सबसे बड़ा क ानून है. उन्होंने माना कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में पारदर्शिता बरती जानी चाहिए. उन्होंने 2013 के एक्ट एवं 2015 के बिल के मूल प्रवाधानों पर विस्तार से चर्चा की. वे शनिवार को अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान में भूमि अधिग्रहण बिल पर आयोजित परिचर्चा में में बोल रहे थे.
पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता वसंत चौधरी ने कहा कि 2010 तक हमारे देश में कोई भूमि पॉलिसी नहीं थी. जमींदारी उन्मूलन को ही बड़ी बात माना जा रहा था. भारत में 4़5 करोड़ लोगों का विस्थापन हुआ है. एनसीआर और एवं मुम्बई में छह लाख अपार्टमेंट खाली पड़े हैं. ‘हाऊसिंग फार दी पुअर’ पर कोई बात नहीं हो रही है. उपजाऊ जमीन सिमटती जा रही है और बड़े पैमाने पर उद्योगों के नाम पर जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन उसका उपयोग नही हो रहा. बहु फसली भूमि के अधिग्रहण का विरोध करना चाहिए. अध्यादेश में पुर्न स्थापन का कोई भी समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी है.
भूदान यज्ञ कमिटि के अध्यक्ष शुभ मूर्ति ने कहा कि आज विकास की अवधारणा की एक स्पष्ट समझ विकसित करने की जरूरत है. विकास के मौजूदा प्रारूप में भूमि अधिग्रहण अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि जेपी की सम्पूर्ण क्रान्ति की समग्रता में इसे समझने की आवश्यकता है. आज हाल यह है कि जो सत्तावान है, वह हमारी जमीन ले लेता है. असली जरूरतों को पूरा करने के लिए जमीन अधिग्रहण करना चाहिए.
सरकार का आधार गलत है. इस परिस्थिति में गांधी के फामरूले पर चलाने की आवश्यक्ता है. सामाजिक कार्यकर्ता अजरुन प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार ने बल- बुद्धि से जनता की जमीन छीन ली. ऐसा कानून बनना चाहिए, जो जमीन जोतनेवाले को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करे. वर्तमान भूमि अधिग्रहण अमेरिका पैटर्न का है, न कि भारतीय. वहां सिर्फ दो प्रतिशत लोग किसान हैं, ऐसे अधिग्रहण से भारत में किसानों की संख्या लगातार घटती जायेगी. नयी कृषि नीति कॉरपोरेट फारमिंग की ओर अग्रसित है. वर्ल्ड बैंक की अनुशंसा के आधार पर 2013 एक्ट बना है.
कुछ लक्ष्य निर्धारित किए गए है, जिसमें भूमि बाजार को विकसित करना, भूमि अधिग्रहण को आसान बनाना, औद्योगिकीरण एवं शहरीकरण की रफ्तार को तेज बनाना आदि है. पूंजीवादी पद्धति सम्राज्यवाद से जुड़ी है. आज खेती एवं किसानों की दुर्गति हो रही है. देश में 40 प्रतिशत किसान खेती छोड़ना चाहते हैं. खेती की जमीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर गैर खेती कार्यो में किया जा रहा है. ग्राम सभा भी अपना काम सही तरीकों से नहीं कर पा रही है. परिचर्चा में संस्था के निदेशक प्रो़ दिवाकर और कई समाजिक कार्यकताओं एवं शोधार्थियों ने सवाल -जवाब भी किया.

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