लाइफ रिपोर्टर@पटनाऐसी तो मेरी तकदीर न थी, तुमसा जो कोई महबूब मिली..दिल आज खुशी से पागल है.. ऐ जाने वफा तुम खूब मिले… दिल क्यों न बने पागल…, वो अचानक आ गयी.. यू नजर के सामने.. जैसे निकल आया घटा से चांद… एक अजनबी हसीना से मुलाकात हो गयी….जैसे कई रोमांटिक गानों की धुन सूनने को मिली प्रेमचंद रंगशाला में, जहां शनिवार की शाम रवीन्द्र परिषद द्वारा रवीन्द्र संगीत बंगला, हिन्दी और आधुनिक संध्या का आयोजन किया गया. इस शाम को हसीन बनाने के लिए यहां कोलकाता से मशहूर गायक प्रणवो मुखर्जी मौजूद थे, जिन्होंने कई नये पुराने हिंदी, बंगला गीत और गजल सुना कर लोगों का मन मोह लिया. इन गानों को सुन दर्शक काफी खुश नजर आये.
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दिल क्यों न बने पागल…
लाइफ रिपोर्टर@पटनाऐसी तो मेरी तकदीर न थी, तुमसा जो कोई महबूब मिली..दिल आज खुशी से पागल है.. ऐ जाने वफा तुम खूब मिले… दिल क्यों न बने पागल…, वो अचानक आ गयी.. यू नजर के सामने.. जैसे निकल आया घटा से चांद… एक अजनबी हसीना से मुलाकात हो गयी….जैसे कई रोमांटिक गानों की धुन सूनने […]
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