पटना : पीएमसीएच में चादर धुलाई के नाम पर हर माह तीन से चार लाख रुपये का खर्च आता है. बावजूद मरीजों के बेड पर चादर नहीं है. यदि चादर है भी तो काफी गंदा या पुराना.
मरीजों की सुविधा के लिए दी जाने वाली राशि का फायदा मरीजों को तो नहीं मिलता है, लेकिन खर्च का ब्योरा सरकार को जरूर भेज दिया जाता है. सूत्रों की मानें तो धुलाई के नाम पर पैसों का बंदर बांट इस तरह से किया जाता है, जिसे पकड़ने वाला कोई नहीं हैं. क्योंकि इस काम में वैसे लोग भी शामिल हैं जो इसका पूरा ब्योरा रखते हैं. पीएमसीएच में इस काम के लिए दो लोगों को टेंडर दिया गया है.
जो सप्ताह में एक बार धुलाई के लिए कपड़े ले जाते हैं, लेकिन धुलाई के बाद भी चादर इतना गंदा रहता है कि उसे मरीज व उनके परिजन लेना नहीं चाहते हैं. वहीं पीएमसीएच परिसर में लगी वॉशिंग मशीन पांच वर्षो से खराब है. जब मशीन ठीक थी, तो चादर की धुलाई दो घंटे में हो जाती थी, लेकिन अभी एक सप्ताह में धुलाई करने वाला आता है और बिना धुले बिल बनाता है. जिन वार्डो में निरीक्षण होता है.
वहीं चादर बिछायी जाती है. चादरों की संख्या काफी कम है. बावजूद निरीक्षण होता है व अस्पताल प्रशासन निर्देश जारी करता है कि बेड पर चादर नहीं होगा, तो नपेंगे सिस्टर इंचार्ज. पीएमसीएच मेट्रोन मीना का कहना है कि अस्पताल में बेड के अनुसार चादर नहीं है.