गोपालगंज. डाकघरों में किसान विकासपत्र नहीं मिल रहा है. ग्राहक निराश होकर लौट रहे हैं. ज्यादा मांग व कम आपूर्ति के कारण यह दिक्कत आयी है. इस वजह से डाक विभाग की आय भी प्रभावित हुई है. प्रधानमंत्री छोटी-छोटी बचतों की अनेक योजनाएं लांच कर रहे हैं. लेकिन, लघु बचतों की इस योजना को शुरू से ही झटका लगना शुरू हो गया था. यह योजना तीन साल बंद रहने के बाद पिछले नवंबर में पुन: शुरू की गयी थी. शुरु आत में बंद होने के समय बचे किसान विकास पत्रों की पहली खेप पटना से यहां प्रधान डाकघर में भेजी गयी थी. कुल एक हजार किसान विकासपत्र आये थे, जो चंद दिनों में बिक गये. दिसंबर-जनवरी में एक भी किसान विकासपत्र नहीं आया. फिर 7 व 18 फरवरी को एक-एक हजार, 24 व 28 फरवरी को पांच-पांच हजार किसान विकासपत्र आये, जिनमें कुछ प्रधान डाकघर ने अपने पास रख लिया और शेष को 46 उप डाकघरों में बांट दिया. इसके बाद मार्च से लेकर अब तक कुल 9 हजार किसान विकासपत्र ही डाकघर को मिले हैं. वर्तमान में केवल प्रधान डाकघर के पास 15 सौ किसान विकासपत्र बचे हैं.आपूर्ति कम होने से आ रही दिक्कतवरिष्ठ पोस्टमास्टर आरडी त्रिपाठी ने कहा कि आपूर्ति कम होने से दिक्कत आ रही है. हमारे पास 46 उप डाकघर हैं जिनमें एक हजार किसान विकासपत्र का पता ही नहीं चलता है. इस समय किसान विकासपत्र खत्म हो गया है. ग्राहकों को लौटना अच्छा नहीं लग रहा है. मांग भेजी गयी है.
डाकघरों से गायब किसान विकासपत्र
गोपालगंज. डाकघरों में किसान विकासपत्र नहीं मिल रहा है. ग्राहक निराश होकर लौट रहे हैं. ज्यादा मांग व कम आपूर्ति के कारण यह दिक्कत आयी है. इस वजह से डाक विभाग की आय भी प्रभावित हुई है. प्रधानमंत्री छोटी-छोटी बचतों की अनेक योजनाएं लांच कर रहे हैं. लेकिन, लघु बचतों की इस योजना को शुरू […]
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