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जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना है रमजान
फुलवारीशरीफ : रमजान का महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना है. इस महीने में रोजादार को इफ्तार करानेवाले के गुनाह माफ हो जाते हैं. एक खजूर या पानी से ही रोजेदार को इफ्तार करा देने से अल्लाह खुश होकर सारे गुनाह माफ कर देते हैं. रमजान के तल्लुक से […]
फुलवारीशरीफ : रमजान का महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना है. इस महीने में रोजादार को इफ्तार करानेवाले के गुनाह माफ हो जाते हैं. एक खजूर या पानी से ही रोजेदार को इफ्तार करा देने से अल्लाह खुश होकर सारे गुनाह माफ कर देते हैं. रमजान के तल्लुक से हमें बेशुमार हमदर्दी का मौका मिलता है. इस माह के रहमतों से कोई महरूम नहीं रह पाता है. अल्लाह की इबादत करने वाले से ज्यादा अल्लाह के नेक बंदों रोजेदार को इफ्तार व नमाज की जगह देना खूब इनाम पाने के दरवाजे खोल देता है.
रमजान के तरावीह सुनने के साथ ही उसे अपने जीवन में अमल करना चाहिए. नेक नियति अरू ईमानदारी इस पाक महीने का सबसे बड़ा कायदा है. सिर्फ सदकए फित्र देकर हम यह समझते हैं कि हमने अपना हक अदा कर दिया है. ईमानदारी के साथ मोहताजों और नादार लोगों की खूब मदद करनी चाहिए. रमजान में कुरानशरीफ सिर्फ पढ़ें नहीं बल्कि उसका मतलब समझने की कोशिश करें. रमजान को सब्र का महीना भी कहा जाता है.
और सब्र को जन्नत के बराबर माना जाता है. यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना है. माना जाता है कि जो शख्स आम दिनों में इबादतों से दूर रहता है, वह भी रमजान में इबादतगुजार बन जाता है. यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का महीना है. कहा जाता है कि इसी महीने में कुरान नाजिल किया गया. इसीलिए इस महीने को पाक माना जाता है. फिर रमजान के आखिर में ईद तोहफे के तौर पर मनायी जाती है
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