सभी विद्यार्थियों ने प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए शॉर्ट कट अपनाया था. किसी ने गलत तरीके से प्रमाण पत्र हासिल कर लिया. कई विद्यार्थियों के आवेदन में बिचौलियों के बैंक खाते का नंबर भी गलत डाल दिया था. अब इन पर जांच का खतरा भी मंडरा रहा है और इन्हें छात्रवृत्ति का लाभ तभी मिलेगा जब वे सही प्रमाणपत्र पेश करेंगे. विभाग ने इसे देखते हुए 30 जून तक ऑनलाइन आवेदन करने का मौका दिया है जो पहले मई में ही खत्म हो रहा था.
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एससी-एसटी छात्रवृत्ति योजना में फर्जीवाड़ा का मामला, बिचौलिये बना रहे प्रमाणप्रत्र
पटना: एससी-एसटी छात्रवृत्ति योजना में फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये विभाग को लाखों का चूना लगाने की तैयारी चल रही है. फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये गलत लोगों को योजना का लाभ दिलाने के लिए बिचौलियों का एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा है. इस रैकेट का काम होता है छात्रों को लुभावने सपने दिखा कर पैसे […]
पटना: एससी-एसटी छात्रवृत्ति योजना में फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये विभाग को लाखों का चूना लगाने की तैयारी चल रही है. फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये गलत लोगों को योजना का लाभ दिलाने के लिए बिचौलियों का एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा है. इस रैकेट का काम होता है छात्रों को लुभावने सपने दिखा कर पैसे की ठगी और बाद में उनके आगे पड़े बेहतर भविष्य की संभावनाओं को धूमिल करना. इसी के चक्कर में पटना जिले के लगभग 5500 विद्यार्थी फंस गये हैं.
विभाग ही करायेगा नामांकन
अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण विभाग ने बिचौलियों के इसी रैकेट की कारगुजारियों को देखते हुए अगले वित्तीय वर्ष से छात्रवृत्ति का लाभ पाने के लिए नियमों में बदलाव कर दिया है. विभागीय सचिव एसएम राजू की अधिसूचना में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 से सरकार ने यह तय किया है कि जो भी विद्यार्थी बिहार कंबाइंड इंजीनियरिंग कंपटीटिव एग्जामिनेशन तथा सरकार से मान्यता प्राप्त गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेंगे. उस अभ्यर्थी को रिजल्ट के आधार पर काउंसेलिंग के जरिये कल्याण विभाग ही नामांकन करायेगा. प्रदेश में या फिर केंद्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले आवेदक ही नामांकन के लिए योग्य माने जायेंगे. बिना इस शर्त के किसी भी विद्यार्थी को भुगतान नहीं किया जायेगा.
फिर से फॉर्म भरने का ऑप्शन
बिचौलियों के चक्कर में फंस कर जिले के कई विद्यार्थियों ने गलत रास्ता अख्तियार किया है. वे पूरी तरह दोषी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने छात्रवृत्ति का लाभ पाने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र बनवाया था. जिन छात्रों ने गलती नहीं की थी. उनके लिए फिर से फॉर्म भरने का ऑप्शन मुहैया कराया गया है. यह भी पता चला है कि कई निजी एजेंसियों ने भी अपना बैंक अकाउंट नंबर छात्रों के फॉर्म में डाल दिया था. जांच के बाद ही बिचौलियों के नेटवर्क का पता चलेगा.
सुंदर चौरसिया, जिला कल्याण पदाधिकारी, पटना
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