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प्रतिबंधित सीएम आवास गोलंबर पर बीडीओ का मार्च, सचिव सख्त

पटना: प्रखंड ग्रामीण विकास पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर गुरुवार को समूह के रूप में प्रतिबंधित क्षेत्र सात सकरुलर रोड तक मार्च किया. मुख्यमंत्री से मिलने के लिए करीब 75-100 की संख्या में पदाधिकारी सात सकरुलर रोड गोलंबर के पास जमे रहे. मुख्यमंत्री से मिलने को लेकर सभी देर रात तक वहां जमे रहे. […]

पटना: प्रखंड ग्रामीण विकास पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर गुरुवार को समूह के रूप में प्रतिबंधित क्षेत्र सात सकरुलर रोड तक मार्च किया. मुख्यमंत्री से मिलने के लिए करीब 75-100 की संख्या में पदाधिकारी सात सकरुलर रोड गोलंबर के पास जमे रहे. मुख्यमंत्री से मिलने को लेकर सभी देर रात तक वहां जमे रहे. मुख्यमंत्री से उनकी बात नहीं हो सकी. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि प्रखंड विकास पदाधिकारियों ने बिना सूचना के पटना में प्रदर्शन किया है.

सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर रिपोर्ट की मांग की जायेगी कि किस परिस्थिति में बीडीओ जिला को छोड़कर पटना आये हैं. ऐसे कितने बीडीओ हैं जिन्होंने बिना सूचना दिये प्रखंड छोड़कर पटना आने का काम किया. बिना सूचना दिये अचानक प्रखंड के कार्यो को छोड़कर पटना आना उचित नहीं है. अगर उनकी कोई मांग है तो उसको लेकर वार्ता करनी चाहिए.

ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने बताया कि बीडीओ का एक प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार के दिन में उनसे मुलाकात की थी. उनकी नियुक्ति 4200 के ग्रेड-पे पर की गयी थी. उनकी मांग थी कि ग्रेड पे को बढ़ाकर 5400 किया जाये. बीडीओ के प्रतिनिधियों को यह बता दिया गया कि किसी भी संवर्ग के लिए सेवा नियमावली तैयार है. इस पर कैबिनेट की स्वीकृति मिली हुई है. सेवा शर्त की नियमावली के आधार पर ही उन्होंने सेवा को चुना है.

बिना सेवा नियमावली में परिवर्तन किये हुए वेतन व भत्ते में संशोधन नहीं किया जा सकता. इधर प्रखंड ग्रामीण विकास पदाधिकारियों ने गुरुवार को लेकर मुख्यमंत्री आवास के पास देर रात तक जमे रहे. उन्होंने पहले सचिवालय जाकर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव से वार्ता की. वार्ता संतोषप्रद नहीं होने के बाद करीब 75-100 की संख्या में मुख्यमंत्री आवास सात सकरुलर रोड तक मार्च किया. वहां पर वे दोपहर से देर रात तक जमे रहे. उनकी मांग है कि उन्हें प्रीमियम सेवा का कैडर घोषित करते हुए ग्रेड-पे 5400 रुपये किया जाये और अविलंब वेतन पुरजा निर्गत किया जाये. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 16 जून को जारी पत्र को अविलंब वापस लिया जाये और पूर्व की भांति प्रखंड विकास पदाधिकारी को मनरेगा में चेकर के रूप में बरकरार रखा जाये. सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को विधि व्यवस्था संधारण व अन्य कार्यो के लिए अंगरक्षक की व्यवस्था की जाये. विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं के कार्यान्वयन व अनुश्रवण में उनकी भूमिका स्पष्ट की जाये.

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