पटना: बैंकिंग परीक्षाओं में सेटिंग करानेवाले नालंदा निवासी संजीव कुमार वर्मा के फर्जीवाड़े का धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक फर्जी परीक्षार्थी को ऑनलाइन परीक्षा में शामिल करने के लिए पहले से तैयारी की जाती थी. असली परीक्षार्थी के अंगूठे का साबुन के ऊपर छाप लेकर प्रिंट लिया जाता था. उसके बाद उस प्रिंट को पतले नकली स्कीन (त्वचा) के ऊपर डाला जाता था. उस प्रिंट को अंगूठे में चिपका कर फर्जी परीक्षार्थी ऑनलाइन परीक्षा में शामिल हो जाते थे. नकली त्वचा से असली अंगूठे के निशान लेने की कला को देख कर सीबीआइ के अधिकारी भी हतप्रभ हैं.
36 करोड़ की कमाई
सूत्रों की मानें, तो वर्ष 2010 से बैंकिंग की विभिन्न परीक्षाओं में फर्जीवाड़े के माध्यम से उम्मीदवारों को सफलता दिलाने की गारंटी देनेवाला संजीव अब तक 36 करोड़ रुपये की कमाई कर चुका है. एक परीक्षार्थी से 18 लाख रुपये लिये जाते थे.
संजीव करीब 200 युवकों को परीक्षा में शामिल करा चुका है. कई लोगों से पैसे नकद नहीं मिलने पर जमीन लिखा ली गयी है. ऐसे में उन जमीनों की वर्तमान बाजार मूल्य का आकलन सीबीआइ करेगी. सूत्रों के अनुसार उसने कमाई के पैसे में उनलोगों को भी हिस्सेदारी दी है, जो प्रमुख रूप से शामिल होने में मदद करते थे. इनमें स्कॉलर को एक मोटी रकम दी जाती थी. साथ ही हवाई टिकट से आने व जाने का खर्च, परिणाम निकलने के बाद पार्टी आदि पर भी पैसे खर्च किये जाते थे.
विशेषज्ञों से लेते थे मदद
गिरोह का सरगना संजीव वर्मा प्रत्येक परीक्षार्थी का फर्जी वोटर आइडी व ड्राइविंग लाइसेंस तैयार करवाता था. उसे नकली परीक्षार्थी (स्कॉलर) को उपलब्ध कराया जाता था, ताकि परीक्षा केंद्र पर वह बिल्कुल असली पहचान पत्र सौंप सके. उसके द्वारा हर काम के लिए अलग-अलग लोगों व तकनीकी के जानकारों की मदद ली जाती थी. बाकायदा इसके लिए अलग से भुगतान किया जाता था. सीबीआइ द्वारा इस काम में शामिल लोगों को सरकारी गवाह बनाया जा सकता है.