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प्यासी जनता, कागज पर चापाकल
दो साल पहले जनप्रतिनिधियों ने की थी 13 जिलों में चापाकल गाड़ने की अनुशंसा 730 चापाकल गाड़ने की अनुशंसा करनेवाले जनप्रतिनिधि का टर्म भी हो रहा खत्म पटना : दो साल पहले चापाकल गाड़ने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा की गयी अनुशंसा अब तक कागजों में अटकी है. कागजी प्रक्रिया को पूरा करने में अब तक […]
दो साल पहले जनप्रतिनिधियों ने की थी 13 जिलों में चापाकल गाड़ने की अनुशंसा
730 चापाकल गाड़ने की अनुशंसा करनेवाले जनप्रतिनिधि का टर्म भी हो रहा खत्म
पटना : दो साल पहले चापाकल गाड़ने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा की गयी अनुशंसा अब तक कागजों में अटकी है. कागजी प्रक्रिया को पूरा करने में अब तक चापाकल गाड़ा नहीं जा सका है. स्थिति यह है कि चापाकल गाड़ने की अनुशंसा करनेवाले कुछ जनप्रतिनिधियों का एक माह बाद टर्म खत्म हो रहा है.
मुख्यमंत्री चापाकल योजना अंतर्गत जनप्रतिनिधियों द्वारा 730 चापाकल गाड़ने की अनुशंसा की गयी थी. दो साल पहले चापाकल गाड़ने के लिए की गयी अनुशंसा का हाल ही में पीएचइडी विभाग ने राज्य योजना अंतर्गत इस योजना से तीन करोड़ 45 लाख आवंटित किया है. चापाकल गाड़ने के लिए विभाग में तैयारी चल रही है. जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार की निष्क्रियता की वजह से अभी तक क्रियान्वयन नहीं हो सका है.
यहां तक कि मंत्री के निदेश का असर अधिकारियों पर नहीं पड़ा. चापाकल गाड़ने में देरी का कारण जनप्रतिनिधि द्वारा समय पर साइट उपलब्ध नहीं कराने की वजह माना जाता है. विभाग के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि चापाकल गाड़ने के लिए टेंडर हो गया है. कई जगहों पर काम चल रहा है. साइट का चयन होने के बाद काम शुरू होने में 15-20 दिन लगता है. साइट का चयन नहीं होने से काम में देरी होती है. काम के अनुसार राशि का आवंटन होता है.
13 जिलों में हुई अनुशंसा
मुख्यमंत्री चापाकल योजना अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में चापाकल गाड़ने के लिए विधान पार्षदों ने वर्ष 2013-14 में अपने-अपने क्षेत्र में अनुशंसा की थी. विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह सहित अन्य विधान पार्षदों की अनुशंसा पर चापाकल गाड़ना था. पीएचइडी विभाग को विधान पार्षदों द्वारा अनुशंसा किये गये 730 चापाकल गाड़ने व उसकी तीन साल तक रखखाव व मरम्मत करना है. भोजपुर में 15, बक्सर 15, अरवल 5, रोहतास 105, कैमूर 25, औरंगाबाद 105, जहानाबाद 2, वैशाली 100, मोतिहारी 23, दरभंगा 100, सिवान 100, खगड़िया 35 व पूर्णिया जिले में 100 चापाकल गाड़ने हैं.
चापाकल का काम अधूरा
दो साल बाद भी चापाकल गाड़ने का काम पूरा नहीं हुआ है. कई जगह पर अभी तक साइट का चयन नहीं हुआ है. विधान पार्षद रजनीश कुमार ने बताया कि खगड़िया जिले में 35 चापाकल गाड़ने की अनुशंसा वर्ष 2013-14 में की गयी थी. चापाकल गाड़ने की लंबी प्रक्रिया के कारण देरी होती है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की निष्क्रियता की वजह से चापाकल गाड़ने का काम पूरा नहीं हुआ है. इसका लाभ जनता को नहीं मिल रहा है.
बजट में प्रावधान नहीं होने के कारण नहीं लगेंगे 239 ट्रांसफॉर्मर
पटना : 13 जिलों में 239 ट्रासफॉर्मर लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी. योजना एवं विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बजट में प्रावधान नहीं होने के कारण जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा के बावजूद नालंदा में एक, गया में तीन, अरवल में तीन, प चंपारण में पांच, दरभंगा में 26, अररिया में 120, मधेपुरा में पांच, सुपौल में सात, मुंगेर में 35, लखीसराय में 27 और शेखपुरा में पांच ट्रांसफॉर्मर लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी. विभाग के संयुक्त सचिव अरविंद कुमार ने सभी जिलों के जिला योजना पदाधिकारी और सभी कार्यपालक अभियंता को पत्र लिख कर कहा है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत ट्रांसफॉर्मर लगाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. इसमें स्वीकृत राशि से अधिक की अनुशंसा करने के कारण भोजपुर में 129, बक्सर में 12, सारण में 216, दरभंगा में आठ, समस्तीपुर में 31 ट्रासफॉर्मर नहीं लग सका है.
वहीं अनुशंसा से अधिक राशि के बजट मिलने की सहमति नहीं मिलने के कारण दरभंगा में 15 और लखीसराय में 13 ट्रांसफॉर्मर नहीं लगा. जनप्रतिनिधियों के मौखिक निर्देश पर अरवल में 27, सीवान में 133, और मधुबनी में 242 ट्रांसफॉर्मर नहीं स्थापित किया गया है. सिर्फ रोहतास में चार और बांका में नौ ट्रांसफॉर्मर लगाने के लिए राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत स्वीकृति मिली है.
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