अरवल. मुख्य सोन नहर व उसके बैरल चैनल की उड़ाही होने से किसानों में खुशी व्याप्त है. अंगरेजी हुकूमत द्वारा निर्मित नहर व चैनल की उड़ाही की मांग किसानों द्वारा अनेकों बार जोरदार तरीके से की गयी थी. इस संदर्भ में स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा विधानसभा में आवाज भी उठायी गयी थी. सोन नहर बचाव संघर्ष समिति ने भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर इसके लिए दबाव बनाया था. मालूम हो कि अंगरेजी हुकूमत के समय निर्मित जिले क्षेत्र से गुजरने वाली मुख्य सोन नहर व 34 वितरणियों की हालत देखभाल के अभाव में खराब होती चली गयी. जीर्ण-शीर्ण अवस्था के कारण इंद्रपुरी बराज से समुचित मात्रा में पानी का बहाव नहीं कराया जाता था. इंद्रपुरी बराज से ज्यादा मात्रा में पानी छोड़े जाने पर मुख्य नहर का तटबंध कई स्थानों पर टूट जाता था और कई जगहों पर टूटने की संभावना बनी रहती थी. इससे पानी का कम बहाव कम हो जाता था, जिससे निचले छोर तक सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंच पाता था. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ा. किसानों को अपने साधन या मॉनसून के भरोसे खेती करने की विवशता आ पड़ी. इससे फसलें मार खाने लगी और दिन पर दिन इनकी हालत बदहाल होती गयी. कृत्रिम संसाधनों की बदौलत खेती काफी खर्चीला व परेशानी से भरा होता था. जिले में अवस्थित 34 वितरणी में किसी में भी पानी उपलब्ध नहीं हो पाता था. कारण था कि इन वितरणियों का अनेक स्थानों पर अस्तित्व ही समाप्त हो गया था, लेकिन वर्तमान समय में जिस गति से उड़ाही की जा रही है, उससे किसान को उम्मीद जगी है कि समस्या का समाधान अवश्य हो जायेगा.
नहर की उड़ाही होने से किसानों में खुशी
अरवल. मुख्य सोन नहर व उसके बैरल चैनल की उड़ाही होने से किसानों में खुशी व्याप्त है. अंगरेजी हुकूमत द्वारा निर्मित नहर व चैनल की उड़ाही की मांग किसानों द्वारा अनेकों बार जोरदार तरीके से की गयी थी. इस संदर्भ में स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा विधानसभा में आवाज भी उठायी गयी थी. सोन नहर बचाव संघर्ष […]
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