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मोदी सरकार का एक साल: जदयू ने कहा, प्रधानमंत्री ने जनता से जितने वायदे किये, उनमें कोई प्रगति नहीं उपलब्धि शून्य, करेंगे निगेटिव मार्किग

पटना: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के एक साल के कार्यकाल पूरा होने पर जदयू ने मंगलवार को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार का एक ही वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ है. जदयू इस एक साल में केंद्र सरकार की उपलब्धि के लिए […]

पटना: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के एक साल के कार्यकाल पूरा होने पर जदयू ने मंगलवार को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार का एक ही वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ है. जदयू इस एक साल में केंद्र सरकार की उपलब्धि के लिए शून्य अंक दे रही है. अगर इसी तरह का परफार्मेस आगे भी जारी रहेगा तो जदयू केंद्र सरकार की निगेटिव मार्किग करेगा. अभी तक प्रधानमंत्री ने जितने भी वायदे किये, उनमें कोई प्रगति नहीं हुई.

प्रधानमंत्री की छवि को देश से बड़ा दिखाने की कोशिश हो रही है. बिहार के साथ केंद्र का भेदभाव जारी है. नदी जोड़ के मामले में सबसे आगे बढ़ चुके बिहार की तीन पुरानी नदी जोड़ परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया. इसकी जगह केन-बेतवा लिंक को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल कर लिया गया. किसानों को शंकर धान बीज का अनुदान भी नहीं दिया जा रहा है.

जदयू के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी बताया कि केंद्र की एक साल पूरा होने पर भाजपा के मंत्रियों, यहां तक कि प्रधानमंत्री भी मिथ्या प्रचार अभियान चला रहे हैं. चुनाव परिणाम के बाद प्रधानमंत्री की पहली प्रतिक्रिया थी कि वोट फॉर होप (आशा के लिए मतदान) हुआ है. पर एक साल में जनता के बीच निराशा का भाव पैदा हो गया है. पेट्रोलियम पदार्थो की अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटते कीमत को प्रधानमंत्री ने यह कहकर पेश किया था कि अगर देश में भाग्यशाली नेता मौजूद है, तो इसमें पूछने की क्या बात है. पर जब एक सप्ताह में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में दो बार वृद्धि की गयी तो इसके लिए क्या संज्ञा दी जाये? भाग्यशाली का विपरीत शब्द अभागा होता है, जिसे वह नहीं कहना चाहते हैं. महंगाई, कालाधन, बेरोजगारी दूर करने के वायदे को छोड़ भी दें तो भाजपा व उनके सहयोगी नेताओं ने धर्मातरण के मुद्दे को उठा कर सामाजिक तनाव फैलाने का काम किया. गोड्से को महिमामंडित किया गया. इसको लेकर जनमानस तो प्रभावित हुआ, पर प्रधानमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. भाजपा जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की सत्ता लोलुपता नहीं संवरण कर पायी और उस पार्टी के साथ सरकार बना लिया जो आतंकवादियों की पृष्ठपोषक पार्टी है. वहां सरकार बनाने के लिए सिद्धांत की बलि चढ़ा दी. सत्ता के समझौते में आखिर डेढ़ माह का समय क्यों लगा.

पीएम के सामने छोटा पड़ा देश : केंद्र की विदेश नीति की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की छवि इतनी बड़ी हो गयी है कि उसके सामने देश छोटा पड़ गया है. विदेशों में उनका कार्यक्रम रॉकस्टार की तर्ज पर हो रहा है. कूटनीति पर कहीं कुछ नहीं हो रहा है. प्रधानमंत्री दो बार नेपाल की यात्र कर आये. पर भारत-नेपाल के बीच सबसे अहम मुद्दे जल प्रबंधन पर कोई बात नहीं हुई. इसका सीधा असर बिहार पर हर साल आनेवाले बाढ़ के रूप में पड़ता है. नेपाल की नदियों से बिहार हर साल प्रभावित होता है. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के आने पर चाय बनाकर पिलायी, पर जब ओबामा लौटने लगे तो क्या कहा? ओबामा ने वहीं कहा जो अब तक किसी राष्ट्राध्यक्ष ने नहीं कहा. भारत दुनिया को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ देता आया है पर बराक ने संविधान की धारा 25 का उल्लंघन करते हुए भारत व प्रधानमंत्री को नसीहत देकर चला गया. अब चीनी राष्ट्रपति के भारत आने के वक्त का हालात क्या था. जब चीनी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के साथ झूला झूल रहे थे, उसी वक्त चीनी सेना हमारे देश की भूमि पर तंबू गाड़ रही थी. जब प्रधानमंत्री चीन की यात्रा पर गये तो वहां के सरकारी टेलीविजन ने अक्साइचीन और अरुणाचल प्रदेश को भारत के नक्शे से गायब करके दिखाया.

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