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एक्ट में संशोधन नहीं, तो दिल्ली मार्च
पटना: चिकित्सा पेशा को काला कानून से बचाओ. जब किसी का फीस तय नहीं,तो डॉक्टरों के साथ अन्याय क्यों. ये नारे क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में राज्य सरकार के खिलाफ डॉक्टरों ने लगाये. वे आइएमए हॉल से लेकर डाकबंगला तक विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. डॉक्टर एक्ट में संशोधन की मांग कर रहे […]
पटना: चिकित्सा पेशा को काला कानून से बचाओ. जब किसी का फीस तय नहीं,तो डॉक्टरों के साथ अन्याय क्यों. ये नारे क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में राज्य सरकार के खिलाफ डॉक्टरों ने लगाये. वे आइएमए हॉल से लेकर डाकबंगला तक विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. डॉक्टर एक्ट में संशोधन की मांग कर रहे हैं,जिसे फिलहाल सरकार सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में डॉक्टरों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और डॉक्टर जिला स्तर पर मार्च कर रहे हैं. रैली का नेतृत्व करने के लिए डॉ ए. पिल्लई आये थे और उन्होंने कहा कि इस तरह का कानून बनाने से डॉक्टरों की परेशानी होगी और मरीजों का फायदा नहीं होगा. कानून बनने के बाद सभी अस्पताल बंद हो जायेंगे,तो यहां के मरीज इलाज के लिए कहां जायेंगे.
भासा के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि कानून को सरकार नहीं बदलेगी,तो हम केंद्रीय मंत्रलय, दिल्ली तक मार्च करेंगे. इसके पहले सभी डॉक्टर जिला स्तर पर एक्ट के विरोध में प्रदर्शन करेंगे. जरूरत पड़ी,तो डीएम कार्यालय के समक्ष धरना भी देंगे. रैली में आइएमए बिहार के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सहजानंद प्रसाद, डॉ संजीव कुमार सिंह, डॉ मंजु गीता मिश्र, डॉ रणजीत कुमार, डॉ विजय शंकर सिंह, डॉ बसंत सिंह, डॉ रमण कुमार वर्मा, डॉ विमल कारक , डॉ डीके चौधरी, डॉ हरिहर दीक्षित , डॉ राजीव रंजन, डॉ रामरेखा व डॉ राजीव रंजन प्रसाद मौजूद थे.
एक्ट से यह प्रभाव (डॉक्टर संघ के अनुसार)
कानून के तहत सभी चिकित्सकीय संस्थानों को नौकरशाही के अधीन कर दिया गया है. 21 प्रकार के क्लीयरेंस लेने होंगे. 20 रिपोर्ट हर माह सरकार को देनी होगी.
छोटी गलती पर भी पांच लाख तक का जुर्माना होगा .
किसी भी आकस्मिक मरीज को संसाधन नहीं होने पर भी क्लिनिक संस्थान को अपने खर्च से स्टेवलाइज करने की बाध्यता है .
एक्ट चिकित्सकों के विरुद्ध मरीज के परिजनों को आक्रामक बना देगा. सरकार ने संविधान की धारा 21 के अंतर्गत लोगों के जीवन की रक्षा के अपने दायित्व को बिना कुछ खर्च चिकित्सकों पर डाल दिया है.
सभी क्लिनिक बंद हो जायेंगे और चिकित्सा क्षेत्र कॉरपोरेट के अधीन हो जायेगा.
नर्सिग होम में ये सुविधाएं अनिवार्य
नर्सिग होम का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
नर्सिग होम में बेड,आइसीयू व जेनरेटर समेत अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं हो
नर्सिग होम में काम करने वाले डॉक्टरों का नाम डिग्री के साथ बोर्ड पर रहेगा
इलाज के लिए मरीजों से कितने पैसे लिये जा रहे हैं. इसकी जानकारी मरीजों को दें
आइसीयू या वार्ड में मरीज के इलाज की जानकारी परिजन को मिले
मरीज के साथ कुछ भी नया करने के पहले परिजन को बताये
किसी भी डॉक्टर के पास अगर कोई मरीज आये,तो उसका प्राथमिक उपचार कर उसे
रेफर करें
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