विदेश नीति यह नहीं कहती है अपना चेहरा चमकाने के लिए भारतीय की बुराई की जाये. सदाकत आश्रम में पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार की असफल नीति, कार्यक्रम व कूटनीतिक दुर्गति इस बात का सबूत है कि रक्षा क्षेत्र में भारत ने अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को खो दिया है. भारत के सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए कांग्रेस ने तीस साल से प्रयास किया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रयास किये. लेकिन नरेंद्र मोदी को इससे कोई मतलब नहीं है.
विदेश नीति के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी को अपने नेता के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि विदेश में जाकर स्कैम इंडिया के बदले में स्किल इंडिया की बात कहते हैं. कहीं वह किल इंडिया नहीं बन जाये. चीन में जाकर एक तरफा व्यापार की बात कर रहे हैं. यह खुलासा नहीं हुआ कि चीन से केवल सामान आयेगा या भारत से भी सामान जायेगा. जिन अरब देश से तेल व ईंधन आता है. उन देशों का पीएम नहीं गये. पड़ोसी देशों के साथ संबंध रखना जरूरी है, लेकिन दाउद के बारे में अभी तक सरकार पता नहीं लगा पायी है. फ्रांस से 18 रॉफेल विमान खरीदे जाने थे. इसके लिए कांग्रेस ने बिडिंग प्रक्रिया चलायी थी. बाकी रॉफेल विमान का निर्माण तकनीक हस्तांतरण समझौते के माध्यम से एचसीएल द्वारा किया जाना था. इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलता. नये रोजगार पैदा होता. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के साल भर के कार्यकाल से कोई ऐसी उपलब्धि नहीं दिख रही है.