नयी दिल्ली. बीसीसीआइ ने पिछले दो साल में कानूनी मसलों पर 56 करोड रुपये खर्च किये. वित्त समिति की गुरुवार यहां हुई बैठक में इसका खुलासा किया गया. पता चला है कि कानूनी व्यय के पिछले दो साल में काफी बढ़ने के कारण ज्योतिरादित्य् सिंधिया की अगुवाई वाली वित्त समिति ने मान्यता प्राप्त राज्य इकाइयों को दी जाने वाली बुनियादी ढांचे पर सब्सिडी 50 करोड़ से बढ़ाकर 75 करोड नहीं करने का फैसला किया है जैसा कि प्रस्ताव रखा गया था. वित्त समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘पिछले दो वित्त वर्षों में बीसीसीआइ का कानूनी व्यय क्रमश: 31 करोड़ और 25 करोड़ रुपये रहा तथा सचिव अनुराग ठाकुर और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने सही कहा है कि हम सब्सिडी नहीं बढ़ा सकते हैं. इसके अलावा रकम का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इसके लिये दिशानिर्देश तैयार करने पर भी सहमति बनी.’ यह भी पता चला है कि आईपीएल स्पाट फिक्सिंग मामले की जांच करने वाली न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल समिति को 1.5 करोड रुपये दिये गये जबकि बीसीसीआइ ने उच्चतम न्यायालय से नियुक्त न्यायमूर्ति आर लोढ़ा समिति के लिये 3.90 करोड़ रुपये खर्च किये गये.
पिछले दो साल बीसीसीआइ की कानूनी लागत रही 56 करोड रुपये
नयी दिल्ली. बीसीसीआइ ने पिछले दो साल में कानूनी मसलों पर 56 करोड रुपये खर्च किये. वित्त समिति की गुरुवार यहां हुई बैठक में इसका खुलासा किया गया. पता चला है कि कानूनी व्यय के पिछले दो साल में काफी बढ़ने के कारण ज्योतिरादित्य् सिंधिया की अगुवाई वाली वित्त समिति ने मान्यता प्राप्त राज्य इकाइयों […]
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