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रजिस्ट्री के लिए बनाया गया मॉडल फॉर्म कांसेप्ट नहीं भा रहा लोगों को

पटना : जमीन व फ्लैटों की रजिस्ट्री को सरल बनाने के उद्देश्य से सरकार ने 2011 में मॉडल फॉर्म की व्यवस्था की थी. बावजूद लोग पुरानी पद्धति से ही रजिस्ट्री करा रहे हैं. सरकार के जारी मॉडल फॉर्म का कांसेप्ट कारगर साबित नहीं हो सका है. यहां तक इसे पूरी तरह सफल बनाने के लिए […]

पटना : जमीन व फ्लैटों की रजिस्ट्री को सरल बनाने के उद्देश्य से सरकार ने 2011 में मॉडल फॉर्म की व्यवस्था की थी. बावजूद लोग पुरानी पद्धति से ही रजिस्ट्री करा रहे हैं. सरकार के जारी मॉडल फॉर्म का कांसेप्ट कारगर साबित नहीं हो सका है. यहां तक इसे पूरी तरह सफल बनाने के लिए 2012 को एक अक्तूबर से मॉडल फॉर्म के तहत रजिस्ट्री अनिवार्य भी की गयी.
इसके लिए मे आई हेल्प यू काउंटर में फार्म की व्यवस्था भी की गयी. जहां मॉडल फार्म मात्र 10 रुपये में मिल रहे हैं. खरीदने के बावजूद लोग मॉडल फॉर्म पर रजिस्ट्री नहीं करा रहे हैं.
सरल होने के बाद भी उपेक्षित
मॉडल फॉर्म को सरल बनाया गया है,जिसे कोई भी कॉलम को आसानी से भर कर रजिस्ट्री करा सकता है. इसे काफी आसानी से भर बैंक चालान के साथ कोई भी अपनी जरूरत के मुताबिक फॉर्म भर
कर जमा कर सकता है. इसके लिए न तो किसी व्यक्ति व कातिब की जरूरत है और न ही पढ़े-लिखे लोगों की. अनपढ़ व अंगूठा छाप व्यक्ति भी आसानी से रजिस्ट्री करा सकते हैं.
यह था उद्देश्य
रजिस्ट्री के नियम को सरल बनाने तथा कंप्यूटराइजेशन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मॉडल फॉर्म लागू किया गया था. मॉडल फार्म के तहत रजिस्ट्री होने पर पुरानी प्रक्रिया से निजात होने के साथ ही कैथी की जगह हिंदी या अंगरेजी में भी दस्तावेज तैयार किये जा सकते हैं.
छह अलग-अलग फॉर्म
छह अलग-अलग मॉडल फार्म जारी किये गये है. जमीन या घर की बिक्री, पावर या किसी को घर जमीन दान के लिए अब तक दस्तावेज तैयार करने संबंधी आदी है. इसे कोई भी भर कर निर्धारित शुल्क के साथ रजिस्ट्री कार्यालय में खुद ही जमा कर सकता है. साथ ही वेबसाइट से भी मॉडल फॉर्म डाउनलोड क रने की भी व्यवस्थाकी गयी थी.
मॉडल फॉर्म लोगों के बीच सफल नहीं होने के पीछे कई कारण है. जमीन संबंधी दस्तावेजों की पूरी डिटेलिंग के लिए कॉलम के नहीं होने से लोग उसे पसंद नहीं कर रहे हैं. बिहार में जमीन संबंधी फर्जीवाड़े की अधिक शिकायतों के कारण लोग दस्तावेजों पर पूरी जानकारी के साथ कातिब या वकील की मदद लेते हैं. इससे लोगों को पूरी जानकारी मिल जाती है.
रामानंद केसरी, अधिवक्ता, समाहरणालय
2011 में मॉडल फॉर्म की शुरुआत की गयी थी. लोग इसे खरीद भी रहे हैं, लेकिन भरोसा नहीं होने से पुरानी पद्धति से रजिस्ट्री कराना पसंद कर रहे हैं. इसे प्रचारित भी किया जा रहा है ताकि अधिक-से-अधिक लोग इसके तहत रजिस्ट्री करा सकें.
प्रशांत कुमार, जिला अवर निबंधक, पटना

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