पटना: राज्य में देसी शराब तैयार करने में बड़े स्तर पर गड़बड़ी होती है. कच्चे स्प्रिट से एल्कोहल बना कर फिर देसी शराब तैयार की जाती है. इस खास प्रक्रिया में स्प्रिट से एल्कोहल तैयार करने में 60 डिग्री की गुणवत्ता बरकरार रखना अनिवार्य होता है. सरकार की तरफ से तय इस मानक का पालन करने पर एक लीटर स्प्रिट में 12 लीटर देसी शराब तैयार होती है. परंतु देसी शराब का ठेका लेनेवाली कंपनियां इस मानक में हेरफेर करती हैं.
इसमें 60 डिग्री के स्थान पर 66 डिग्री की गुणवत्ता का पालन करते हुए देसी शराब तैयार की जाती है. इससे देसी शराब की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है और एक लीटर स्प्रिट से 15 लीटर शराब तैयार कर लेते हैं. इससे प्रति लीटर स्प्रिट से तीन लीटर अतिरिक्त देसी शराब तैयार कर ली जाती है, जो पूरी तरह से अवैध है.
पूरे राज्य को 17 अलग-अलग हिस्से में बांट कर देसी शराब तैयार करने का ठेका उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग देता है. ऐसे तो इस तरह की गड़बड़ी तकरीबन सभी स्थानों पर है. परंतु सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गया, आरा, बक्सर और दरभंगा में इसकी शिकायत बहुत ज्यादा है.
विभागीय स्तर पर इसकी जांच की व्यवस्था है, लेकिन किसी तरह की ठोस शिकायत नहीं होने और जिला स्तर पर विभागीय पदाधिकारियों की मिली भगत के कारण न तो इसकी कड़ी जांच हो पाती है और न ही ऐसे लोगों पर कोई ठोस कार्रवाई ही हो पाती है. इस वजह से बड़े स्तर पर तालमेल बैठा कर इस गड़बड़ी का कारोबार चलता रहता है. अगर इसकी उच्चस्तरीय जांच करायी जाये, तो बड़े स्तर पर व्यापारियों और पदाधिकारियों की मिली भगत सामने आयेगी. हाल में इस मामले में गया में छापेमारी भी हुई है. एक सूत्रों के अनुसार, भोजपुर और बक्सर जिला में 65 डिग्री के मानक की शराब तैयार हो रही है.
इस तरह अवैध कमाई : 200 ग्राम देसी शराब की सरकारी कीमत 25 रुपये हैं. इस तरह एक लीटर की कीमत 125 रुपये और तीन लीटर की कीमत 375 रुपये होती हैं. प्रति लीटर कच्चे स्प्रिट से एल्कोहल और फिर 66 डिग्री के गलत मानक पर शराब तैयार करके 375 रुपये की अतिरिक्त कमाई होती है. इस तरह डेली हजारों लीटर अवैध शराब तैयार कर राजस्व को चूना लगाया जाता है.
इससे पीनेवालों को नुकसान नहीं
एल्कोहल की डिग्री 60 के स्थान पर 66 करके गड़बड़ी करने से पीने वाले की सेहत पर इसका कोई सीधा नुकसान नहीं होता, लेकिन इससे नशा सही से नहीं होता है. यानी 200 ग्राम या एक पाउच पीने पर जितना नशा होना चाहिए, उतना 400 ग्राम पीने पर होता है. एक तरह से देखा जाये, तो यह मामला सीधे तौर पर उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी करने का है.
इन जिलों में है कमाई
दरभंगा क्षेत्र में प्रति महीने करीब तीन लाख एलपी लीटर स्प्रिट का उठाव कंपनीवाले करते हैं. इतनी स्प्रिट से मानक अनुसार 36 लाख लीटर देसी शराब तैयार होनी चाहिए, लेकिन अवैध तरीके से करीब 45 लाख लीटर शराब तैयार की जाती है. यानी 9 लाख लीटर ज्यादा, जो अवैध है. इसे प्रति लीटर देसी शराब की कीमत 125 रुपये से गुणा करने पर 11.25 करोड़ रुपये आता है. इस तरह सिर्फ दरभंगा क्षेत्र में अवैध शराब से 11.25 करोड़ रुपये प्रति महीने प्राप्त होते हैं.
इसी तरह भोजपुर व आरा मिला कर 4.25 लाख एलपी लीटर स्प्रिट का उठाव होता है. इससे 16.25 करोड़ रुपये की कमाई होती है. गया में तीन लाख एलपी लीटर का उठाव है, जिससे भी 11.25 करोड़ रुपये की अवैध कमाई होती है. इन चार क्षेत्रों को मिलाकर ही 38.75 करोड़ रुपये की अवैध कमाई प्रत्येक महीने में होती है. ऐसी स्थिति सभी 17 क्षेत्रों की है.