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सड़क दुर्घटना में घायल हुए, तो सिर्फ पीएमसीएच का आसरा
पटना: बिहार में अमूमन हर दिन रोड एक्सीडेंट में लगभग 1300 लोग घायल होने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं. इस आंकड़े को देखते हुए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने सभी मेडिकल कॉलेजों में ट्रॉमा सेंटर खोलने की बात कही थी, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रधान सचिव दीपक कुमार ने बैठक कर योजना […]
पटना: बिहार में अमूमन हर दिन रोड एक्सीडेंट में लगभग 1300 लोग घायल होने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं. इस आंकड़े को देखते हुए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने सभी मेडिकल कॉलेजों में ट्रॉमा सेंटर खोलने की बात कही थी, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रधान सचिव दीपक कुमार ने बैठक कर योजना भी बनायी और सभी मेडिकल कॉलेजों से जगह चिह्न्ति करने को कहा, लेकिन आज भी पीएमसीएच के अलावा किसी मेडिकल कॉलेज में ट्रॉमा की व्यवस्था नहीं हैं.
हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनएमसीएच में ट्रोमा सेंटर बनाने के लिए राशि स्वीकृत की है, लेकिन यहां कब तक ट्रॉमा सेंटर बन पायेगा, कहना मुश्किल है. मेडिकल कॉलेजों का हाल देखेंगे, तो मालूम चलेगा कि पीएमसीएच छोड़ अभी कहीं भी न्यूरो सजर्री व प्लास्टिक सजर्री विभाग नहीं हैं, जहां ट्रॉमा मरीजों का इलाज हो सके. इस कमी को लेकर बार-बार एमसीआइ भी अपनी आपत्ति दर्ज कराता है, बावजूद इस कमी को दूर नहीं किया जा सका है.
निजी अस्पतालों के भी हैं अपने आंकड़े : पीएमसीएच में डेली लगभग 100 ट्रॉमा मरीज इमरजेंसी में इलाज के लिए आते हैं. इनमें से 60 मरीजों को सजर्री व 40 को आर्थो में भरती किया जाता है. सूत्रों की मानें तो पूरे बिहार में 900 हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और इनमें से ऐसे 300 से अधिक डॉक्टर हैं, जिनका अपना नर्सिग होम है. उनके यहां भी ऐसे मरीज भरती होते हैं, जो रोड एक्सीडेंट में आंशिक रूप से घायल हुए रहते हैं, वहीं गंभीर मरीजों को ट्रोमा की जरूरत पड़ती है. ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के मुताबिक हर दिन निजी अस्पतालों में कम-से-कम तीन ऐसे मरीज रोज आते हैं, जो रोड एक्सीडेंट में घायल होते हैं और उनका इलाज भरती करने के बाद होता है.
हर दिन मिनिमम तीन ऐसे मरीज नर्सिग होम में आते हैं. पुलिस के पास भी रोड एक्सीडेंट का पूरा ब्योरा नहीं होता हैं. उसके पास वही केस होते हैं, जिसकी एफआइआर की जाती है.ऐसे में सभी मेडिकल कॉलेजों में ट्रॉमा सेंटर जरूर होना चाहिए, जिससे मरीजों को मल्टीपल इलाज मिल सके.
डॉ अमूल्य कुमार सिंह
हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ
हर दिन इमरजेंसी में 40 से अधिक मरीज भरती होते हैं, जिनमें से अधिकांश मरीज रोड एक्सीडेंट के होते हैं. इन मरीजों का इलाज भरती होने के बाद होता है. कुछ ऐसे मरीज भी होते हैं, जिन्हें इमरजेंसी से ही घर भेज दिया जाता है. अगर हर दिन ट्रॉमा मरीजों की बात करें, तो पीएमसीएच में 100 से अधिक आते हैं.
डॉ विश्वेंद्र कुमार सिन्हा
एचओडी, पीएमसीएच हड्डी रोग विभाग
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