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पेट दर्द की दवा तक नहीं
बढ़ता मर्ज : शहर के अस्पतालों में नहीं दूर हो रही दवा की कमी पटना : दवा खरीद के लिए निर्देश और बैठकों के बीच सरकारी अस्पतालों में दवा की किल्लत बढ़ती जा रही है. पटना जिला के अस्पतालों में हालात ऐसे हो गये हैं कि दर्द का इंजेक्शन खत्म हो गया है और बच्चों […]
बढ़ता मर्ज : शहर के अस्पतालों में नहीं दूर हो रही दवा की कमी
पटना : दवा खरीद के लिए निर्देश और बैठकों के बीच सरकारी अस्पतालों में दवा की किल्लत बढ़ती जा रही है. पटना जिला के अस्पतालों में हालात ऐसे हो गये हैं कि दर्द का इंजेक्शन खत्म हो गया है और बच्चों के बुखार की दवा पारासिटामोल तक नहीं बची है. वहीं मेडिकल कॉलेज में हिमोफिलिया फैक्टर 8 व 9 भी खत्म है. ऐसे में ओपीडी में हर रोज पहुंचनेवाले 100 से अधिक मरीजों को डॉक्टर सिर्फ बाहर की दवा लिख रहे हैं.
बुरा हाल
न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के ओपीडी में मंदिरी से इलाज के लिए पहुंचे बच्चे को बुखार की दवा तक बाहर से खरीदनी पड़ी. डॉक्टर ने जब दवा लिखी,तो बच्चे के अभिभावक दवा के लिए काउंटर पर पहुंचे, तो काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने कहा कि सिरफ नहीं हैं आप बाहर से खरीद लें. अगर बुखार के लिए गोली चाहिए, तो यहां मिल जायेगा. इसके बाद वह अपने बच्चे को लेकर बाहर दवा खरीदने के लिए चला गया.
पीएमसीएच ओपीडी में 10 दवाइयां मौजूद
शुक्रवार को पीएमसीएच के ओपीडी में 10 और इंडोर में 18 दवाइयां मौजूद थीं. यह स्थिति कई महीनों से है. सरकार की योजना के मुताबिक अस्पताल के ओपीडी में कम से कम 42 दवाइयां और इंडोर मरीजों के लिए 122 दवाइयां होनी चाहिए. होली के दौरान अस्पताल ने लोकल स्तर पर दवाइयां खरीदी थीं, जो दो दिनों में ही खत्म भी हो गयी थीं.
बीएमएसआइसीएल से दवा की मांग हुई है, लेकिन अभी तक दवा नहीं आयी है. इस माह तक अस्पतालों में दवा को
लेकर परेशानी नहीं होगी. दवा स्टॉक की जांच के लिए 16 मई को एक बैठक बुलायी गयी हैं.
डॉ के.के. मिश्र, सिविल सजर्न
दवा खरीद का काम तेज गति से हो रहा है और बहुत जल्द अस्पतालों से दवा की परेशानी खत्म हो जायेगी. पहले से जो भी दवाइयां भंडार में हैं, उसे भेजा जाता है.
डीके शुक्ला, एमडी, बीएमएसआइसीएल
प्राचार्य व अधीक्षक होंगे क्रय समिति के अध्यक्ष
पटना : राज्य के मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में मशीन, उपकरण, दवा और रसायन की खरीद के लिए दो अलग-अलग कमेटियां गठित की गयी हैं. खरीद नीति के अनुसार अस्पतालों में अधीक्षक के नेतृत्व में कमेटी बनेगी.
कमेटी में उपाधीक्षक व संबंधित विभागाध्यक्ष सदस्य बनाये गये हैं. इधर,मेडिकल कॉलेजों में प्राचार्य की अध्यक्षता में कमेटी बनी है.
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