संवाददाता, पटनाभारतीय उपमहाद्वीप का पहला सूर्य मंदिर पाकिस्तान के मूल्तान जगह पर था. इसकी जानकारी हेनसांग ने भी अपनी किताब में की है. उन दिनों यह सूर्य मंदिर काफी समृद्ध माना जाता था. आमदमी का मुख्य स्त्रोत भी था. इस बात की जानकारी कला इतिहासविद् रंजन कुमार सिंह ने दी. बुधवार को बिहार पुराविद् परिषद् पटना एवं अभिलेख निदेशालय के संयुक्त रूप से आयोजित इस व्याख्यान में श्री सिंह अभिलेख भवन के सेमिनार कक्ष में मौजूद थे. व्याख्यान का आयोजन प्रो बीपी सिन्हा की स्मृति में किया गया था. कोणार्क का सूर्य मंदिर, देव सूर्य मंदिर आदि का उदाहरण देते हुए श्री सिंह ने बताया कि सूर्य की पूजा का काफी प्राचीन समय से महत्व है. सूर्य की किरण का हमारे फसल का व्यापक असर भी होता है. इस मौके पर मुख्य अतिथि रविनंदन सहाय ने बताया कि सूर्य पूजा के रूप में ही छठ पूजा होता है. ऐसे में प्राचीन सूर्य मंदिर का काफी महत्व है. कार्यक्रम की अध्यक्ष पटना विवि के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. युवराज देव प्रसाद ने किया. इस मौके पर बिहार पुराविद् परिषद् के अध्यक्ष चितरंजन प्रसाद सिन्हा ने प्राग एतिहासिक काल के सूर्य मंदिर की जानकारी दिया. कार्यक्रम में अभिलेख निदेशालय, बिहार के निदेशक विजय कुमार, बिहार पुराविद् परिषद के महासचिव उमेश चंद्र द्विवेदी के साथ कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
पाकिस्तान में था भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सूर्य मंदिर
संवाददाता, पटनाभारतीय उपमहाद्वीप का पहला सूर्य मंदिर पाकिस्तान के मूल्तान जगह पर था. इसकी जानकारी हेनसांग ने भी अपनी किताब में की है. उन दिनों यह सूर्य मंदिर काफी समृद्ध माना जाता था. आमदमी का मुख्य स्त्रोत भी था. इस बात की जानकारी कला इतिहासविद् रंजन कुमार सिंह ने दी. बुधवार को बिहार पुराविद् परिषद् […]
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