22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

46% हिंदू और 12 फीसदी मुसलमानों की दाल-रोटी खेती से

पटना: ऊंची जातियों के हिंदुओं और मुसलमानों के पास जमीन तो है, लेकिन इतनी नहीं कि वह उन्हें पूर्ण रूप से रोजगार मुहैया करा सके. दोनों को अपना जीवन चलाने के लिए दूसरे काम पर निर्भर रहना पड़ता है. यह हकीकत ग्रामीण के साथ-साथ शहरी इलाके की भी है. राज्य सवर्ण आयोग की रिपोर्ट में […]

पटना: ऊंची जातियों के हिंदुओं और मुसलमानों के पास जमीन तो है, लेकिन इतनी नहीं कि वह उन्हें पूर्ण रूप से रोजगार मुहैया करा सके. दोनों को अपना जीवन चलाने के लिए दूसरे काम पर निर्भर रहना पड़ता है. यह हकीकत ग्रामीण के साथ-साथ शहरी इलाके की भी है. राज्य सवर्ण आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में ऊंची जातियों के पास जमीन तो है, लेकिन वह इतनी ज्यादा नहीं है कि सभी को काम मिल सके. इससे ऊंची जाति के हिंदुओं और मुसलमानों में अपूर्ण रोजगारी की समस्या है.

ग्रामीण इलाकों में 18.1% ऊंची जाति के हिंदुओं को पूर्ण रोजगार की श्रेणी में रखने के लिए खेती के इतर दूसरे सहायक काम करने की जरूरत है. ऊंची जाति के मुसलमानों में ऐसे लोगों का प्रतिशत 11.8 है. शहरी इलाकों की दास्तां भी इससे इतर नहीं है. शहरों में भी ऊंची जाति के लोग अपने पुश्तैनी या परंपरागत रोजगार से इतर अपनी रोजी कमाने में लगे हैं.

लेकिन शहरी इलाकों में इस तरह के सहायक काम कर अपने को पूर्ण रोजगार की श्रेणी में रखने वालों की संख्या ग्रामीण इलाकों से कम है. मात्र 12.9} हिंदू और 5.3 फीसदी मुसलमान अपने पुश्तैनी काम के साथ-साथ अपनी जीविका चलाने के लिए या अपने को पूर्ण रोजगार की श्रेणी में रखने के लिए कोई सहायक काम करते हैं. ग्रामीण इलाकों में 46.3 फीसदी ऊंची जाति के हिंदू अपनी जीविका चलाने के लिए खेती या उससे संबंधित कार्यो पर निर्भर है. मुसलमानों में ऐसे लोगों का प्रतिशत मात्र 12.2 है.

यह मुसलमानों का जमीन के तौर पर गरीब होना भी दिखाता है. चूंकि ग्रामीण इलाकों में खेती या उससे जुड़े कार्य ही जीविका के मुख्य साधन थे, इसलिए व्यापार, उद्योग जैसे दूसरों काम कर रोजी कमाने वालों की तादाद दोनों समुदायों की ऊंची जातियों में कम था. हिंदुओं में ऐसे लोगों की तादाद 9} और मुसलमानों में 11.7} है. यानी, दोनों समुदायों की एक बहुत बड़ी आबादी तनख्वाह या मजदूरी कर अपना जीवन चलाती है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है, इसलिए वहां तनख्वाह या मजदूरी के भी कम रहने की संभावना होती है जिससे ऊंची जाति के लोगों को पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता. यहां यह बात गौर करने लायक है कि जितनी आबादी तनख्वाह या मजदूरी पर आश्रित है उसका एक बड़ा हिस्सा अनियमति तनख्वाह या मजदूरी पर अपना जीवन निर्वाह करती है. यह परिस्थिति और ज्यादा खतरनाक है. ऊंची जाति के हिंदुओं में 44.7} तनख्वाह या मजदूरी पर आश्रित है. इसमें 25} आबादी अनियमित तनख्वाह या मजदूरी पर आश्रित है.

मुसलमानों में ऐसे लोगों का प्रतिशत 76 और 55.5 है.
हिंदू खेती व उससे स्वरोजगार तनख्वाह/मजदूरी तनख्वाह/मजदूरी
(ग्रामीण) जुड़े काम (नियमित) (अनियमित)
ब्राrाण 37.7 10.7 18.9 30.5
भूमिहार 62.5 2.2 16.9 16.5
राजपूत 49.8 3.6 19.4 25
कायस्थ 22.1 14.3 32.4 26.3
मुसलमान (ग्रामीण)
शेख 13.7 6.7 19.9 56.6
सैयद 6.9 12.3 26.2 48.3
पठान 14.2 4.6 16.7 59.8
हिंदू खेती व उससे स्वरोजगार तनख्वाह/मजदूरी तनख्वाह/मजदूरी
(शहरी) जुडे काम (नियामत) (अनियमित)
ब्राहमण 2.9 19.0 55.3 14.5
भूमिहार 17.5 15.5 51.5 6.8
राजपूत 15.4 14.3 43.2 13.5
कायस्थ 3.0 15.1 55.4 15.1
मुसलमान (ग्रामीण)
शेख 3.1 18.9 29.1 35.2
सैयद 1.0 18.0 49.0 20.0
पठान 2.0 15.6 33.1 38.8

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें