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55 बच्चे हुए आजाद, लौटी खुशी

मुक्त हुए बच्चों ने सुनायी पीड़ा, 13 घंटे काम कराते, खाने में बासी रोटी पटना : पढ़ने, लिखने और खेलने की उम्र में मासूम कंधों पर दिन भर के काम-काज और शक्कर की बोरियां ढोने का बोझ, साथ ही खाने के नाम पर बासी रोटियां. इस तरह की परेशानी ङोले हैं बिहार के 55 बच्चे. […]

मुक्त हुए बच्चों ने सुनायी पीड़ा, 13 घंटे काम कराते, खाने में बासी रोटी
पटना : पढ़ने, लिखने और खेलने की उम्र में मासूम कंधों पर दिन भर के काम-काज और शक्कर की बोरियां ढोने का बोझ, साथ ही खाने के नाम पर बासी रोटियां. इस तरह की परेशानी ङोले हैं बिहार के 55 बच्चे. बुधवार को लोकमान्य तिलक-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस से पटना आते ही इन बच्चों के चेहरों पर खुशियों की लहर दौड़ पड़ी.
माइ होम इंडिया संस्थान और चाइल्ड लाइन के अथक प्रयास से लाये गये ये बच्चे बिहार के अलग-अलग जिलों के रहनेवाले हैं. सभी की उम्र 11 से 14 साल के बीच की है. प्रभात खबर से बातचीत में कई बच्चों ने बताया कि सभी महाराष्ट्र के पाल एरिया में अलग-अलग दुकानों में काम कर रहे थे. दुकानदार मालिक बेरहमी से पिटाई करते थे.
जानकारी देते हुए संस्थान के संयोजक वेंकटेश शर्मा ने बताया कि सभी बच्चों को उन्हें घर पहुंचा दिया गया. उन्होंने बताया कि उनकी टीम महाराष्ट्र, यूपी और दिल्ली के कई इलाकों का मुआयना किया है. वहां हजारों की संख्या में बिहार के बंधुआ मजदूर काम कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन का सहयोग मिले तो बाकी शहरों में काम कर रहे बाल मजदूरों को मुक्ति कराने में आसानी होगी. उन्होंने बताया कि ज्यादातर बच्चे सीतामढ़ी, पश्चिमी चंपारण, गया, नालंदा, सासाराम, मुजफ्फरपुर, दरभंगा आदि जिलों के हैं.
सुबह से गाली और पिटाई
सीतामढ़ी के रहनेवाले विकास किशन (13) एक मिठाई फैक्टरी में बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रहा था. आर्थिक तंगी ङोलने वाले परिवार से आनेवाले किशन ने बताया कि वह भागीरथ नामक एक व्यक्ति के अंडर में काम करता था. उसने कहा कि भागीरथ सुबह से शाम तक गाली देता था.
इससे तंग आ कर वह वहां से एक बार भाग गया था, लेकिन स्टेशन के पास से पकड़ लिया और जम कर पिटाई की और जोर-जबरदस्ती फिर फैक्टरी में ले आया. वहां सुबह से ही उसे मिठाई बनाने के काम में लगा दिया जाता था. उन्हें खाने में बासी रोटी दी जाती थी. फैक्टरी में शक्कर की बोरियां भी बच्चों से उठवायी जाती थीं.
नौकरी के नाम पर हुई ठगी
दरभंगा जिले के महतेपुर गांव का रहनेवाला मो अरशद (12) ने बताया कि खेती पर परिवार का पेट पालनेवाले पिता के पास दो साल पहले एक बिचौलिये ने दुकान में काम करने की बात कह महाराष्ट्र ले गया.
इसके एवज में उसने कुछ रुपये भी दिये. मुङो पटना लेकर आया और दो दिन रखने के बाद ट्रेन के माध्यम से मुंबई लेकर चला गया. वहां गुप्तेश्वर नामक एक कारखाने में ले जाकर छोड़ दिया. वहां हर माह महज 1200 रुपये दिये जाते थे. डेली 13 घंटे काम लिये जाते थे.

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