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अधिवक्ता स्टांप शुल्क के अब देने होंगे 15 रुपये
पटना : बिहार में भी अब अधिवक्ता स्टांप शुल्क झारखंड के तर्ज पर 15 रुपये लिये जायेंगे. विधानसभा में मंगलवार को बिहार अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक, बिहार विनियोग लेखानुदान निसरन और बिहार आकस्मिकता निधि संशोधन विधेयक पारित हो गया. तीनों विधेयकों पर भाजपा विधायकों ने संशोधन प्रस्ताव लाया था, किंतु उनके प्रस्ताव ध्वनिमत से […]
पटना : बिहार में भी अब अधिवक्ता स्टांप शुल्क झारखंड के तर्ज पर 15 रुपये लिये जायेंगे. विधानसभा में मंगलवार को बिहार अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक, बिहार विनियोग लेखानुदान निसरन और बिहार आकस्मिकता निधि संशोधन विधेयक पारित हो गया.
तीनों विधेयकों पर भाजपा विधायकों ने संशोधन प्रस्ताव लाया था, किंतु उनके प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिये गये.बिहार अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक, 2014 के समर्थन में प्रभारी मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि संशोधन न होने के कारण अधिवक्ता कल्याण योजना में कठिनाई हो रही थी. पहले के अधिनियम में बार एसोसिएशन को भी परिभाषित नहीं किया गया था. विधेयक में न्यासी समिति की शर्तो का भी निर्धारण किया गया है.
झारखंड में अधिवक्ता कल्याण शुल्क बिहार से अधिक लिया जा रहा था, किंतु यहां नहीं. अब दोनों राज्यों में बराबर-बराबर शुल्क यानी 15 रुपये लिये जायेंगे. विरोधी दल के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि अधिवक्ताओं को जो राशि मिल रही है, वह जनता के पैसे से मिल रही है. सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. वकीलों के कल्याण मद में सरकार को भी अंशदान देना चाहिए.
अधिवक्ता और मुंशी के बीच का फासला पाटने की भी कोशिश हो.वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान जो विधेयक पास होता है, उसका निसरन किया जाना जरूरी है. 1980, 1995 और 2005 में इसके लिए सरकार को अलग से विधेयक लाना पड़ा है. बिहार विनयोग लेखानुदान सहित निसरन विधेयक इसी लिए लाया गया है. उन्होंने बिहार आकस्मिकता निधि संशोधन विधेयक, 2015 भी पेश किया,
जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. हालांकि इस विधेयक पर प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने सरकार पर कई सवाल किये. उन्होंने कहा कि बजट में ही धान- गेहूं खरीद का प्रावधान किया गया है. जब भाजपा भी सरकार में थी, तभी धान-गेहूं की धान खरीद का मानक तय हो गया था. इस विधेयक के नाम पर सरकार चुनाव वर्ष में पैसे लुटाना चाहती है. तीनों विधेयकों पर भाजपा के डा. अच्युतानंद, अरुण शंकर प्रसाद और विनोद नारायण झा ने अपने-अपने सुझाव दिये.
जाली स्टांप के लिए टास्क फोर्स
पटना : निबंधन विभाग के मंत्री अवधेश प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि अवैध रूप से जाली स्टांप के कारोबार पर नियंत्रण के लिए पटना में टास्क फोर्स का गठन किया गया है. यह टास्क फोर्स पटना के जिलाधिकारी द्वारा गठित किया गया है. निबंधन मंत्री मंगलवार को विधानसभा में विक्रम कुंवर के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे.
उन्होंने बताया कि पटना के गांधी मैदान थाना में वर्ष 2007, वर्ष 2008 और वर्ष 2009 में जाली स्टांप को लेकर मामले दर्ज किये गये हैं. इधर प्रश्नकर्ता विक्रम कुंवर मुंह पर काली पट्टी बांध कर पहुंचे थे. इसका खुलासा विरोधी दल के नेता नंदकिशोर यादव ने आसन कराया.
सदन को बताया गया कि विक्रम कुंवर ने मुंह पर काली पट्टी इसलिए धारण की है कि उनके द्वारा पूछे गये अधिसंख्य प्रश्न निरस्त कर दिये गये. आसन उनको बुला कर बात करे. इस पर सत्ता पक्ष की तरफ से जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जवाब में बताया कि श्री कुंवर से सरकार को बात करने में ऐतराज नहीं है. पर सरकार को सूचना है कि भाजपा सदस्य श्री कुंवर अपनी पार्टी की अंदरूनी गतिविधियों से नाराज हैं. इस बीच श्री कुंवर ने एक भी पूरक प्रश्न नहीं पूछा. उनका मूल प्रश्न था कि पटना जिला में फर्जी स्टांप की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इनमें जूडिशियल और नन जूडिशियल स्टांप शामिल हैं.
कोइलवर पुल का मामला उठा
विधान परिषद में भाजपा के प्रो. नवल किशोर यादव ने कोइलवर पुल पर खतरे का मामला उठाया. सूचना पर खड़ा होकर उन्होंने कहा कि सोन नदी में बड़े पैमाने पर बालू निकालने का काम हो रहा है. यहां तक कि पुल के पाया के आसपास भी बालू निकाला जा रहा है.
इससे पुल को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि पुल से 600 मीटर दूर से बालू निकालना है. तीन फीट से अधिक बालू नहीं निकालना है. सारे नियमों की धज्जी उड़ा कर बालू निकाला जा रहा है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. उप सभापति सलीम परवेज ने सरकार से इस मामले को देखने की बात कही.
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