पटना: स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कहा कि आइजीआइएमएस में 2016 से डीएम न्यूरोलॉजी की पढ़ाई होगी. इसके लिए संस्थान के निदेशक से प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा गया है. अगले सत्र से परिसर में डीएम न्यूरोलॉजी की दो सीटें होगी. वह इंडियन एपिलेप्सी एसोसिएशन बिहार शाखा व न्यूरोलॉजी विभाग आइजीआइएमएस के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
आइजीआइएमएस को 15 दिनों में एमआरआइ के लिए पैसे दिये जायेंगे, जो पूर्व से ही स्वीकृत है. उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को बीमारियों से बचाव के लिए आप जागरूक करें. सम्मेलन में जो भी चर्चा हो उसका फायदा मरीजों को मिले. आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के कुलपति व पीएमसीएच न्यूरो सजर्री विभाग के एचओडी डॉ एके अग्रवाल ने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से यह कोशिश की गयी है कि इसका फायदा आम लोगों को मिले. मिरगी व अन्य न्यूरोलॉजी के रोगों का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि समय रहते डॉक्टर से मिले. आज भी मिरगी को लेकर समाज में कई भ्रांतियां है. इस कारण लोग बीमार का इलाज झाड़-फूंक कर करते हैं. इस कारण बीमारी ठीक होने की जगह बढ़ जाती हैं.
उद्घाटन समारोह में डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा, डॉ अशोक कुमार, डॉ एचआरपी वर्मा, डॉ केएच राघवेंद्र, डॉ आरपी चौधरी, डॉ राकेश कुमार, डॉ अरशद आलम, डॉ विनय पांडेय, डॉ आरबी शर्मा, डॉ आरआर चौधरी, डॉ गिरीश शरण, डॉ अनुज कुमार, डॉ संतोष कुमार, डॉ संगीता पंकज, डॉ दीपक कुमार व डॉ ब्रजनंदन समेत करीब पांच सौ न्यूरोलॉजिस्ट मौजूद थे.
न्यूरो मेडिसिन चिकित्सकों की अधिक जरूरत : निदेशक
आइजीआइएमएस के निदेशक डॉ एनआर विश्वास ने कहा कि न्यूरो सजर्न से अधिक न्यूरो मेडिसिन चिकित्सकों की जरूरत है. संस्थान को बढ़ाना है तो इसके लिए सभी को मिल कर सहयोग करना होगा. वर्षो से परिसर में न्यूरो विभाग चल रहा है, लेकिन अभी तक यहां डीएम न्यूरोलॉजी की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. डॉ विश्वास ने कहा कि परिसर में पीएचडी कोर्स जल्द शुरू करने की प्रक्रिया हो रही है और छह माह में हम कुछ विभागों से इसे शुरू भी कर लेंगे. वहीं कुछ विभाग में एमडी व डीएम चल रहे हैं,लेकिन कुछ में नहीं है. ऐसे विभागों को चिह्न्ति कर वहां दोनों कोर्स शुरू किया जायेगा, ताकि परिसर में शोध का माहौल बन सके व मेडिकल छात्रों को भी इसका फायदा मिले.