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महाविलय से नीतीश ने खो दिया अपना अस्तित्व : मांझी

लखीसराय: देश की विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा किये गये महाविलय के बाद नीतीश कुमार ने अपना अस्तित्व खो दिया है. अब उनके पास न तो अपना दल रहा और न ही झंडा. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी स्थानीय केआरके मैदान में हिंदुस्तान अवाम मोरचा के तत्वावधान में गुरुवार को गरीब स्वाभिमान रैली को संबोधित […]

लखीसराय: देश की विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा किये गये महाविलय के बाद नीतीश कुमार ने अपना अस्तित्व खो दिया है. अब उनके पास न तो अपना दल रहा और न ही झंडा. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी स्थानीय केआरके मैदान में हिंदुस्तान अवाम मोरचा के तत्वावधान में गुरुवार को गरीब स्वाभिमान रैली को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने चारों ओर घिरे दलालों, ठेकेदारों व कमीशनखोर लोगों की वजह से उन्हें समय से पहले कुरसी से हटा दिया. उन्हीं दलालों के चक्कर में आज बिहार का विकास रुका हुआ है. जिस योजना को एक रुपये में पूरा होना चाहिए, उसमें दस रुपये का एस्टिमेट बनाया जाता है. इससे बिहार के विकास की राशि का बंदरबांट हो रहा है.

दलित व महादलित बना कर समाज को तोड़ा : मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने सभी वर्ग व गरीबों के लिए काम किया. उनके लाभ के लिए योजनाएं पारित कीं. लेकिन मेरे सीएम पद से हटते ही नीतीश ने आम लोगों के लिए बनायी 34 योजनाओं को रद्द कर दिया. नीतीश कुमार हमेशा से फूट डालो, राजनीति करो की रणनीति पर चल रहे हैं.

उन्होंने दलित व महादलित बना कर समाज को तोड़ा. उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या उनका 34 निर्णय गलत था? मांझी ने कहा, क्या हर गांव में एक सफाई कर्मी की बहाली करना गलत था? उस बहाली में कौन शामिल होता, गरीब दलित वर्ग का ही कोई बेरोजगार. गरीब भूमिहीन महादलित परिवारों के लिए तीन डिसमिल जमीन की जगह पांच डिसमिल जमीन व सरकारी जमीन नहीं रहने पर बाजार भाव से जमीन खरीद कर देने की व्यवस्था की थी. गरीब परिवार की बच्चियों को एमए तक नि:शुल्क शिक्षा देने की बात कही थी. इसका मकसद था कि आरक्षण का लाभ लेकर त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि बननेवाली महिलाओं को समाजोपयोगी निर्णय लेने में सुविधा हो.

वे तेली समाज को भी अतिपिछड़ा में शामिल करने वाले थे. इन सबसे नीतीश कुमार और उनके लोगों के कलेजे पर सांप लोटने लगा. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि अगर अपना स्वाभिमान वापस चाहते हैं, तो गांधी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करायें. गांधी मैदान में पांच लाख से अधिक की भीड़ जुटते ही नीतीश कुमार को बाध्य होकर उनके द्वारा जनहित में लिये गये सभी 34 निर्णयों को लागू करना होगा. उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि लखीसराय जिले से कम से कम 20 हजार लोग गांधी मैदान पहुंचें.

सभा को पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी, साधु यादव व दलित नेता ब्रह्नादेव आनंद पासवान ने भी संबोधित किया. सभा की अध्यक्षता पार्टी के जिला संयोजक प्रफुल्ल कुमार मांझी ने की. मंच संचालन शंकर सिंह कुशवाहा कर रहे थे. मौके पर विनोद रजक, अनिल मांझी, सुनील कुमार, दिलीप रजक, प्रमोद मांझी, विष्णुदेव पासवान, कुंती देवी, राजो मांझी, प्रो महेश सिंह, नरेश साह, राम विलास मांझी, प्रकाश राम, रंजीत दास, महेश्वर दस, अभिनव आनंद, वार्ड पार्षद प्रवीण कुमार चक्रवर्ती, बिल्लो के पंचायत समिति सदस्य राकेश कुमार कुशवाहा आदि उपस्थित थे.

मांझी के पॉपुलर होने से डरे सभी

मांझी ने कहा कि वे नीतीश कुमार को मसीहा मानते थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद तीन चार महीने तक उनकी बातों के अनुसार काम किया. लेकिन जब देखा कि गरीबों का काम बाधित हो रहा है, तो अपनी मरजी से गरीबों के लिए काम करना शुरू कर दिया. इस पर नीतीश कुमार के लोग कहने लगे इस तरह मांझी पॉपुलर हो जायेगा और 2015 के विस चुनाव में लोग उसे ही सीम के रूप में देखना चाहेंगे.

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