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बीएड-एमएड में नामांकन पर अभी रहेगी रोक

पटना: बीएड-एमएड में अभी कुछ समय तक रोक लगी ही रहेगी. एनसीटीइ का निर्देश है कि कोई भी कॉलेज बीएड व एमएड में तब तक नामांकन नहीं ले सकता, जब तक कि उसमें दो वर्षीय पाठ्य़क्रम को लागू नहीं कर दिया जाये. लेकिन, दो वर्षीय पाठय़क्रम को लागू करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए […]

पटना: बीएड-एमएड में अभी कुछ समय तक रोक लगी ही रहेगी. एनसीटीइ का निर्देश है कि कोई भी कॉलेज बीएड व एमएड में तब तक नामांकन नहीं ले सकता, जब तक कि उसमें दो वर्षीय पाठ्य़क्रम को लागू नहीं कर दिया जाये. लेकिन, दो वर्षीय पाठय़क्रम को लागू करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए पहले विवि को सिलेबस तैयार करना होगा और फिर उसे अपने एकेडमिक काउंसिल, सिंडिकेट से स्वीकृत कराने के बाद राजभवन से भी उसकी स्वीकृति लेनी होगी. तभी वे पाठय़क्रम को लागू कर सकते हैं, अन्यथा उसे लागू करना संभव नहीं है.
एमयू में कर दी गयी आधिकारिक घोषणा
मगध विश्वविद्यालय ने तो बाकायदा विज्ञापन जारी कर आधिकारिक घोषणा भी कर रखी है कि सिलेबस बनने और तैयार होने तक कोई भी कॉलेज इसमें एडमिशन नहीं ले सकता. वहां सिलेबस बनाने का काम तेजी से जारी है और वहां भी उक्त सिलेबस को एकेडमिक काउंसिल में रखा जाना है. फिर वह आगे राजभवन तक स्वीकृत होगा, तभी नया पाठय़क्रम जारी किया जा सकेगा. एमयू से भी कई निजी बीएड कॉलेज जुड़े हुए हैं. उन्हें भी यूनिवर्सिटी के नये निर्देश या कोई आधिकारिक सूचना का इंतजार है. तब तक वे एडमिशन नहीं ले सकते.
पटना यूनिवर्सिटी में नहीं हुई है कोई घोषणा
पटना यूनिवर्सिटी में कोई आधिकारिक घोषणा तो नहीं है, लेकिन एनसीटीइ का निर्देश ही उनके एडमिशन नहीं लेने के लिए काफी है. चूंकि उनके कॉलेज विवि से संबद्ध हैं, इसलिए वहां ऐसी कोई नोटिस जारी करने की आवश्यकता भी नहीं है. पीयू में भी सिलेबस लगभग तैयार है और उसे एकेडमिक काउंसिल में रखा जाना है. अभी वहां कर्मचारी हड़ताल की वजह से भी परेशानी हो रही है और कोई काम-काज नहीं हो रहा है. इन दोनों यूनिवर्सिटी के अलावा भी जो जानकारी मिली है, दूसरे विवि भी लगभग इसी प्रक्रिया में हैं.
तो ठगे जा सकते हैं स्टूडेंट्स
जितने भी निजी कॉलेज हैं, उन्हें इस प्रक्रिया को नियमत: पालन करना है और एनसीटीइ के नये रूल रेगुलेशन के लागू होने तक कोई भी एडमिशन लेना संभव नहीं है. ऐसी परिस्थिति में कोई भी कॉलेज पहले ही एडमिशन ले लेता है, तो यह छात्रों के रिस्क पर है. क्योंकि आगे उक्त कॉलेज की मान्यता बरकरार रहेगी या नहीं रहेगी, यह अभी पता नहीं है. नये सिलेबस के साथ कॉलेजों को एनसीटीइ के द्वारा मापदंड निर्धारित किये गये हैं, उन्हें भी पूरा करना है. ऐसी स्थिति में जो कॉलेज इसे पूरा नहीं कर पायेंगे उनकी मान्यता पर भी खतरा है. ऐसे में छात्र ठगे जा सकते हैं.

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