पटना: पटना व आसपास के क्षेत्रों में अपार्टमेंट की बुकिंग में कुछ वर्षो से कमी आयी है. इसके पीछे फ्लैट बुकिंग रेट में इजाफा के साथ आयकर विभाग की सख्ती का भी असर है. इनकम टैक्स विभाग की नजर फ्लैट व जमीन खरीदारों पर है. निबंधन कार्यालय में हर दिन कितने लोग फ्लैट व जमीन की रजिस्ट्री करा रहे हैं, इसका पूरा ब्योरा इनकम टैक्स अपने पास मंगा रहा है. मार्च में ही इनकम टैक्स ने ऐसे एक हजार लोगों को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने राजधानी में फ्लैट व जमीन की खरीदारी की है. अब लोग जमीन व फ्लैट खरीदने के पहले कई बार सोच रहे हैं और इसका असर रियल एस्टेट बाजार पर पड़ रहा है.
बच पाना संभव नहीं
निबंधन विभाग द्वारा तय दर से कम पर रजिस्ट्री संभव नहीं है. अगर लोग पटना के आसपास के इलाकों में भी फ्लैट खरीदते हैं, तो उन्हें कम से कम 1100 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से स्टांप शुल्क देना पड़ता है. राजधानी के पॉश इलाकों में एक हजार वर्ग फुट फ्लैट की सरकारी कीमत 18 से 30 लाख रुपये तक है. ऐसे में इनकम टैक्स से बचना संभव वहीं है. फ्लैट व जमीन की 5 लाख से अधिक की रजिस्ट्री पर इनकम टैक्स की नजर रहती है. निबंधन विभाग प्रतिवर्ष दो भागों में दस्तावेजों की रिपोर्ट इनकम टैक्स कार्यालय भेजता है. एक भाग में पांच लाख से 30 लाख की संपत्ति व दूसरे भाग में 30 लाख से ऊपर की संपत्ति वाले दस्तावेजों की रिपोर्ट होती है.
15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है कारोबार : इनकम टैक्स विभाग का मानना है कि पटना में रियल एस्टेट का वार्षिक कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है, लेकिन मेटेरियल सप्लायर से आयकर नगण्य ही रहता है. विभाग अब असंगठित क्षेत्र के तहत बिल्डिंग बनाने में काम आने वाली सामग्रियों को लक्षित कर रहा है. साथ ही वैसे लोग जिनके द्वारा 30 लाख या अधिक राशि की अचल संपत्ति की खरीद- बिक्री की गयी है. उनकीट्रांजेक्शन की भी समीक्षा हो रही है.