पटना. आज भारत में जो भी लिपि हैं सारी लिपि ब्राम्ही लिपि से ही निकली हुई है. भारतीय पुरातत्व की बात करें, तो भारत वर्ष पर एक शासन होने के कारण लिपि भी एक ही होती थी. लेकिन, जैसे-जैसे छोटे-छोटे राज्य बनते गये, वैसे ही लिपियों में परिवर्तन होता गया. ये बातें मेमोरियल यूनिवर्सिटी, न्यू फाउंड लैंड, कनाडा के प्रोफेसर डॉ आनंद मोहन शरण ने कही. हिस्ट्री एंड टाइम लाइन ऑफ वेरियस इंडियन स्क्रप्टि विषय पर आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम को पटना संग्रहालय व बिहार पुराविद् परिषद् की ओर से किया जा रहा था. बिहार रिसर्च सोसायटी के सभागार में इसका आयोजन किया. श्री मोहन शरण ने बताया कि भारत में विभिन्न काल में लिपि का परिवर्तन होता रहा है. सबसे पहले हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के काल की लिपि का पता चला था. लेकिन, उसे पढ़ा नहीं जा सका हैं. इसके बाद अशोक के शीला लेख पर ब्राम्ही लिपि का प्रमाण मिलता है. तीसरी सदी ईसा पूर्व अशोक के शिलालेख पर इस लिपि की जानकारी मिलती है. लेकिन, यह लिपि और भी अधिक पुरानी मानी जा रही है. वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पटना विवि के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि कैथी और महागनी लिपि भी ब्राम्ही लिपि से ही निकली हुई लिपि हैं. ऐसे में इस लिपि को सभी लिपियों की जननी कहा जा सकता है. मौके पर बिहार पुराविद् परिषद् पटना के अध्यक्ष चितरंजन प्रसाद सिंह, महासचिव डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी के साथ कई लोग मौजूद थे.
ब्राम्ही लिपि है सभी लिपियों की जननी
पटना. आज भारत में जो भी लिपि हैं सारी लिपि ब्राम्ही लिपि से ही निकली हुई है. भारतीय पुरातत्व की बात करें, तो भारत वर्ष पर एक शासन होने के कारण लिपि भी एक ही होती थी. लेकिन, जैसे-जैसे छोटे-छोटे राज्य बनते गये, वैसे ही लिपियों में परिवर्तन होता गया. ये बातें मेमोरियल यूनिवर्सिटी, न्यू […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement