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फंड के फंदे में फंस गया बस अड्डा

पटना: बैरिया अंतरराज्यीय बस अड्डा का निर्माण फंड के अभाव में शुरू नहीं हो पा रहा है. जनवरी, 2013 में ही बस अड्डा बनाने की रूपरेखा तैयार की गयी थी और 2014 में 220.15 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गयी थी. इसे निर्माण की जिम्मेवारी बिहार अरबन इंफ्रास्ट्रचर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बुडको) को दी […]

पटना: बैरिया अंतरराज्यीय बस अड्डा का निर्माण फंड के अभाव में शुरू नहीं हो पा रहा है. जनवरी, 2013 में ही बस अड्डा बनाने की रूपरेखा तैयार की गयी थी और 2014 में 220.15 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गयी थी. इसे निर्माण की जिम्मेवारी बिहार अरबन इंफ्रास्ट्रचर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बुडको) को दी गयी. बुडको ने टेंडर भी निकाला और एजेंसी भी चयनित की गयी. हालांकि बुडको बोर्ड ने टेंडर रद्द करते हुए रि-टेंडरिंग का निर्देश दिया. रि-टेंडर भी हुआ है, लेकिन योजना मद में फंड नहीं है. ऐसे में अब तक टेंडर डॉक्यूमेंट भी नहीं खोला जा राह है.
ऋण लेकर योजना को करना था पूरा
2014 में योजना की रूपरेखा तैयार होने के बाद विभागीय स्तर पर निर्णय लिया गया कि योजना में खर्च होने वाली राशि हुडको से ऋण के रूप में ली जायेगी. ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू करने के साथ-साथ जून 2014 में टेंडर निकाला गया और जुलाई 2014 में एलएंडटी और प्रतिमा इंडस्ट्री नामक एजेंसी चयनित की गयी. लेकिन एलएंडटी की दर 39 फीसदी व प्रतिमा इंडस्ट्री की दर 36 फीसदी अधिक थी. इसको लेकर बुडको प्रशासन ने चयनित एजेंसी की दरों को लेकर समझौता करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी. बाद में इस मुद्दा को बुडको बोर्ड के सामने लाया गया, तो बोर्ड ने इसे रद्द करते हुए रि-टेंडरिंग कराने का प्रस्ताव पारित किया. ऐसे में ऋण लेने की प्रक्रिया भी खत्म हो गयी. हालांकि, अक्तूबर, 2014 में रि-टेंडर निकाला गया, लेकिन खर्च होने वाली राशि की व्यवस्था नहीं की गयी. रि-टेंडर के पांच माह बीत जाने के बाद भी विभागीय व बुडको स्तर पर फंड को लेकर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
25 एकड़ भूखंड पर बनना है अड्डा
मीठापुर बस स्टैंड और आस-पास के भूखंड पर एजुकेशनल हब विकसित किया गया और बस स्टैंड को हटा कर बैरिया में शिफ्ट करने की योजना बनायी गयी. अंतरराज्यीय बस अड्डा बनाने को लेकर बैरिया स्थिति नगर निगम के 25 एकड़ भूखंड को चिह्न्ति किया गया. इसको बुडको ने सर्वे कर डीपीआर और डिजाइन भी तैयार की. इस डीपीआर में 220 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया. डिजाइन के अनुसार अत्याधुनिक यात्री सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ हर रूट के बसों के लिए अलग-अलग स्टैंड बनना था.
योजना को पूरा करने के लिए रि-टेंडर निकाला गया है, लेकिन फंड के अभाव में आगे काम नहीं बढ़ रहा है. शुक्रवार को इसको लेकर उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है, जिसमें फंड को लेकर निर्णय लिया जायेगा.
डीके शुक्ला, एमडी, बुडको
अब तक का सफर
220.15 करोड़ की स्वीकृति मिली 2014 में
बुडको प्रशासन ने सर्वे कर डीपीआर और डिजाइन की तैयार
हुडको से ऋण के तौर पर राशि लेने का निर्णय
जून, 2014 में पहली बार हुआ टेंडर
जुलाई, 2014 में एलएंडटी और प्रतिमा इंडस्ट्री एजेंसी का चयन. दर के विवाद में टेंडर कैंसिल
अक्तूबर, 2014 में रिटेंडर. राशि के अभाव में डॉक्यूमेंट नहीं खुला

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