इस सैंपल को जांच के लिए कोलकाता स्थित रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी (आरडीडीएल) को भेजा गया है. कुछ दिनों बाद इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि वास्तव यह कौन- सी बीमारी है. बीमारी का पता चलने के बाद ही इसकी रोकथाम के लिए टीकाकरण और अन्य बचाव के उपाये किये जायेंगे.विशेषज्ञों के अनुसार शुरुआती लक्ष्ण देख कर यह स्पष्ट हो रहा है कि यह स्वाइन फ्लू का मामला नहीं है. मौजूदा लक्षण स्वाइन फीवर के ही दिख रहे हैं.
इसके बचाव और फैलने से बचाने के लिए आसपास के लोगों को उचित सलाह दे दी गयी है. विभाग के निदेशक आलोक रंजन घोष ने इस संबंध में बताया कि यह कहीं से स्वाइन फ्लू का मामला नहीं है. लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. स्वाइन फ्लू से पीड़ित सूअर की मौत नहीं होती है.
वहीं, स्वाइन फीवर से सूअर की मौत हो सकती है, लेकिन वह लोगों में नहीं फैलता है. लोगों में इससे संक्रमण फैलने का खतरा नहीं होता है. इस बीमारी से करीब डेढ़ महीने से सूअरों की मौत हो रही है, लेकिन किसी व्यक्ति ने इसकी सूचना आसपास के पशु चिकित्सकों या केंद्रों को नहीं दी. इस बीमारी से अब तक 134 सूअरों के मरने की पुष्टि हुई है. किसी मरे हुए सूअर का शव विशेषज्ञों को नहीं मिल सका है. लोगों ने पहले ही उन्हें दफना दिया था. इस वजह से पीड़ित सूअरों की ठीक से जांच नहीं हो पायी है.