पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बिहार में जंगल राज टू वाले बयान पर करारा जवाब दिया है. उन्होंने पूछा है कि गुजरात में 2002 में क्या हुआ था? क्या वहां न्याय का राज था? दंगे में किसकी क्या भूमिका थी, क्या यह बताने की जरूरत है? कौन व्यक्ति क्या बोल रहा है और उसका क्या नैतिक आधार है, यह देखना चाहिए. गुजरात में 2002 में जो कुछ हुआ, उसके नायक कौन थे, यह किसी से छिपा नहीं है.
उसके नायक लोग अब इस तरह का बयान दे कर सिर्फ जुमला फैला रहे हैं. इसलिए तो पहले भी कहा है कि भारतीय जनता पार्टी का नाम भारतीय जुमला पार्टी होना चाहिए. उन्होंने बिहार की जनता को आश्वस्त किया है कि हम सब मिल कर कानून के राज को कायम रखेंगे और विकास की नयी ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे. पथ निर्माण विभाग के कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार के आये एक साल भी नहीं हुए हैं कि आगे के लिए दावा किया जा रहा है. भाजपा के इस दावे से साफ है कि उनका मन डोल गया है.
जनता ने पांच साल का जनादेश दिया है. अभी एक साल ही होने जा रहा है, लेकिन जनता के बीच उनका ग्राफ नीचे गिर रहा है. उनका दावा इसका परिचायक है कि उनका मन डोला हुआ है. सीएम ने कहा कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले जो वादा किया था कि कालाधन लायेंगे, भ्रष्टाचार खत्म करेंगे, रोजगार देंगे, लेकिन उन्होंने किसानों के लिए जो भूूमि अधिग्रहण का नया कानून ले आये, उससे उन्हें एहसास हो रहा है कि जनता उनसे नाराज है, इसलिए वे दावा कर रहे हैं. वे ऐसा दावा कर रहे हैं कि जैसे इसी साल चुनाव होना है. अभी चार साल का समय बचा है इसमें काम करना चाहिए तो दावेदारी कर रहे हैं.
जजर्र राजमार्ग पर टांगेंगे मोदी सरकार का सच
मुख्यमंत्री ने पथ निर्माण विभाग को निर्देश दिया है कि जजर्र एनएच पर खूंटा गाड़ कर बोर्ड लगवा दें और यह सड़क किसकी है व कब से बन रही है इसकी सूचना दे दें. इससे लोगों को तो पता चलेगा कि केंद्र सरकार कितने दिनों से उस सड़क को बनवा रही है व इतने दिनों में यह हाल हो गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के विकास के लिए सड़कों की स्थिति बेहतर होना आवश्यक है. बिहार सरकार अपनी सड़कों के निर्माण व रख- रखाव में पूरा ध्यान दे रही है. इसके लिए पॉलिसी बनायी गयी है और सरकार पैसा भी दे रही है, लेकिन नेशनल हाइवे की हालत ठीक नहीं है. केंद्र सरकार एनएच को लेकर भूल जाती है कि उसका निर्माण व मेंटेनेंस भी करना है. लोग तो सोचते हैं कि सड़क बिहार में है और जजर्र है तो यह बिहार सरकार की खामी है, लेकिन उन्हें यह पता नहीं कि एनएच का निर्माण व मेंटेनेंस केंद्र सरकार करती है.
मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं पूछा है कि वे बिहार के बारे में इतने चिंतित हैं तो नेशनल हाइवे को ही क्यों नहीं दुरुस्त करवा रहे हैं. एनएच 30 पटना-आरा, एनएच 84 आरा-बक्सर, एनएच 85 छपरा-सीवान-गोपालगंज में कैसी सुखद यात्र होती है. इसे पहले क्यों नहीं बनवा देते हैं. यह भी तो केंद्र की ही सड़कें हैं. एनएच 31 बख्तियारपुर-खगड़िया किसे बनाना हैं. इसे बनाने के कोई रोका है क्या? एनएच 57 फारबिसगंज-जोगबनी, एनएच 58 बथनाही-दावेपुर समेत पिपराकोठी-रक्सौल के एनएच की हालत भी खस्ता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के पास 969 करोड़ बकाया है.
यह राशि राज्य सरकार ने एनएच को दुरुस्त करने में लगा दी थी, लेकिन केंद्र ने अब तक वह राशि नहीं दी है. जब यह फैसला लिया गया था तो वित्त मंत्री, पथ निर्माण मंत्री, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव (भाजपा सांसद आर. के. सिंह) थे. सीएम ने कहा कि वे ट्रस्टी हैं खजाना के मालिक नहीं हैं. वे ट्रस्टी रूप में काम करते हैं. बहुत लोग को सत्ता दिमाग में घुस जाती है. वे अपने को मालिक के रूप में काम करते हैं, बाकी को अपने नौकर-चाकर समझते हैं.
हिम्मत है तो अगस्त तक शुरू करा दें कच्ची दरगाह बिदुपुर पुल का निर्माण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुल निर्माण निगम के कार्यक्रम में केंद्र के साथ-साथ बिहार भाजपा के नेताओं पर भी निशाना साधा. मुख्यमंत्री ने भाजपा नेता सुशील मोदी का नाम लिये बगैर चुनौती दी है कि अगर उनमें हिम्मत है तो अगस्त तक कच्ची दरगाह-बिदुपुर पुल का निर्माण केंद्र से शुरू करा दें.
उन्होंने कहा कि अब जब राज्य सरकार ने पुल निर्माण की सारी तैयारियां पूरी कर लीं, राज्य सरकार पुल के निर्माण में 2000 करोड़ लगाने को तैयार है, तो केंद्र से कहा जा रहा है कि हमें दे दीजिए हम पुल का निर्माण करा देंगे. इसका पैसा भी हम (केंद्र) लगा देंगे. अब तक सो रहे थे क्या? अब बड़ा बिहार के प्रति प्रेम उमड़ा है. ऐसा बयान आने से तो लोगों को लगेगा कि केंद्र सरकार पुल बनाने को तैयार है और पैसा भी दे रही है. नीतीश ने कहा कि मुझ पर आरोप लगाया जा रहा है कि शिलापट्ट में नाम खुदवाना चाहते हैं. इस तरह की ओछी टिप्पणियां शोभा देती हैं क्या?. उन्होंने कहा कि 2010 के विधानसभा चुनाव के समय ही राघोपुर के लोगों से मेरा समझौता हुआ था. उनसे हमने कहा था कि हमें सतीश कुमार (विधायक) चाहिए और आपको पुल चाहिए.
पुल के निर्माण के लिए अध्ययन किया गया और काम शुरू होने को है तो बीच में ही कूद पड़े हैं कि केंद्र को बनाने का जिम्मा दे दीजिए. यह सब कच्ची दरगाह-बिदुपुर पुल के निर्माण को डिले करना चाहते हैं. चुनाव के समय में वे ही जोर-जोर से कहेंगे कि क्या हुआ इस पुल का, अब तक निर्माण शुरू नहीं हो सका. लोगों की तो मेमोरी कम होती है, उन्हें यही सच लगेगा. सुशील मोदी का नाम लिये बगैर मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को छपास की बीमारी होती है.
नहीं छपा तो अखबारों में फोन करना है. काम तो करना है नहीं. विकास के नाम पर केंद्र व भाजपा सिर्फ दिखावा कर रही है. जब बिहार की मदद करनी थी तो रातों-रात क्यों होश आया. गांधी सेतु के रख-रखाव पर रोज-रोज विचार रखना. उन्होंने कहा कि इस तरह से देश नहीं चलता है. देश चलाने के लिए नजरिया होना चाहिए. सीएम ने कहा कि गंगा नदी पर गांधी सेतु के समानांतर पुल निर्माण का एक मामला नहीं है, जिस हस्तक्षेप किया जा रहा है. पटना-बोधगया फोर लेन के लिए जायका से बातचीत अंतिम स्टेज में थी. राज्य ने केंद्र से भी अनुमति ले ली. बस एग्रीमेंट साइन होने वाला था. पर्यटन मंत्रालय भी सहयोग करने जा रहा था. ऐसे में सड़क परिवहन मंत्रलय कूदता है और कहा है कि यह रोड अब हम बनायेंगे. इसके बाद सारी प्रक्रियाएं फिर से शुरू हुईं और पांच साल में भी काम शुरू नहीं हो सका.