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अब क्राइम मीटिंग में आर्थिक अपराध पर भी होगा फोकस

पटना: प्रदेश में आर्थिक अपराध बढ़ने से चिंतित सरकार ने इस पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. बिहार में आर्थिक अपराध से जुड़े मामले में करीब 10 गुने की वृद्धि दर्ज की गयी है. ऐसे में आर्थिक अपराध से जुड़े सभी मामलों की अलग से समीक्षा, निगरानी और अनुसंधान करने के लिए सभी […]

पटना: प्रदेश में आर्थिक अपराध बढ़ने से चिंतित सरकार ने इस पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. बिहार में आर्थिक अपराध से जुड़े मामले में करीब 10 गुने की वृद्धि दर्ज की गयी है. ऐसे में आर्थिक अपराध से जुड़े सभी मामलों की अलग से समीक्षा, निगरानी और अनुसंधान करने के लिए सभी जिलों के एसपी को पुलिस मुख्यालय ने खास निर्देश जारी किये हैं.

इसके तहत अब सभी जिला स्तर पर होनेवाली क्राइम मीटिंग में अन्य अपराधों के साथ-साथ आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों पर अलग से डाटा एकत्र किया जायेगा. सूत्रों के अनुसार इसके लिए 14 कॉलम का एक फॉर्मेट सभी जिलों को भेजा गया है. इस फॉर्मेट में अपराध का आंकड़ा एकत्र कर उस पर अलग से अनुसंधान और निरंतर मॉनीटरिंग की जायेगी. इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.

पहले मिसलेनियस मान होती थी समीक्षा
इससे पहले आर्थिक अपराधों से जुड़े इन मामलों को ‘मिसलेनियस’ अपराध की श्रेणी में डाल कर इन पर कार्रवाई या समीक्षा होती थी, परंतु अब ऐसा नहीं होगा. सभी थानों को अलग से ऐसे अपराधों की सूची तैयार करके इन केसों का अलग आइओ (इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर) नियुक्त कर इसकी गंभीरता से छानबीन की जायेगी. अब आर्थिक अपराध के मामलों में सामान्य अपराध (मसलन हत्या, चोरी, डकैती, दहेज उत्पीड़न जैसे अन्य) की तरह ही गहरी तहकीकात की जायेगी. आर्थिक अपराधियों को दबोचने और उन पर शिकंजा कसने के लिए बिहार में पहली बार इस तरह की व्यवस्था की गयी है. एक अप्रैल से सभी थानों में मॉनीटरिंग की व्यवस्था लागू होगी.

इन बिंदुओं पर तैयार होगा डाटा
सरकारी राशि का गबन या दुरुपयोग
किसी निजी संपत्ति का गबन या ठगी या लोकहित में हनन
नॉन-बैंकिंग कंपनी व चिट फंड की गड़बड़ी या गबन
साइबर अपराध
भ्रष्टाचार
जाली स्टांप, नोट या करेंसी
मंदिर या अन्य से बहुमूल्य मूर्ति चोरी
मादक दवा या ड्रग्स से जुड़े मामले
कस्टम से जुड़े मामले
आवश्यक वस्तु अधिनियम
को-ऑपरेटिव में गड़बड़ी से जुड़े मामले
अपराधियों की जब्त अवैध संपत्ति से जुड़े मामले
किसी नये तरीके से किसी आर्थिक अपराध को अंजाम देने
विविध मामले (मसलन कॉपी-राइट, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, ट्रेड मार्क उल्लंघन, वैट गड़बड़ी, फॉरेन एक्सचेंज व अन्य)
(नोट : इन 14 कॉलमों में आंकड़े भर सभी जिलों को इस तरह के अपराध की देनी होगी जानकारी.)
निष्पादन की देनी होगी जानकारी
क्राइम मीटिंग में आर्थिक अपराधों की गहन समीक्षा करने को कहा गया है. साथ ही इन्हें ऐसी घटनाओं के बारे में मुख्यालय को विस्तार से बताना होगा कि पीड़ित कौन हैं, महीने में कितने मामलों का निष्पादन हुआ, घटनास्थल कहां था और अनुसंधान की स्थिति क्या है. इन मामलों के निष्पादन पर मुख्यालय स्तर से ज्यादा फोकस दिया जायेगा.
अंकुश लगाने की व्यवस्था
आर्थिक अपराध पर अंकुश लगाने के लिए यह व्यवस्था की गयी है. ऐसे मामलों में लोगों को तुरंत न्याय मिल सके और इससे जुड़े अपराधी बच नहीं सके. क्राइम मीटिंग में इनकी अलग से समीक्षा होने से इन पर पुलिस का भी फोकस ज्यादा बढ़ेगा.
– जेएस गंगवार (आइजी, इओयू)

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