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कोर्ट की भी नहीं सुनता निगम प्रशासन

— न अतिक्रमण हटा, न बनी डीपीआर संवाददाता,पटना : नगर निगम प्रशासन को हाइकोर्ट की फटकार का भी असर नहीं है. पिछले वर्ष बारिश में भीषण जलजमाव था. समस्या पर हाइकोर्ट ने पांच सितंबर 2014 को स्वत : संज्ञान लेते हुए निगम प्रशासन को तीन सप्ताह में पानी की निकासी करने का आदेश दिया. नौ […]

— न अतिक्रमण हटा, न बनी डीपीआर संवाददाता,पटना : नगर निगम प्रशासन को हाइकोर्ट की फटकार का भी असर नहीं है. पिछले वर्ष बारिश में भीषण जलजमाव था. समस्या पर हाइकोर्ट ने पांच सितंबर 2014 को स्वत : संज्ञान लेते हुए निगम प्रशासन को तीन सप्ताह में पानी की निकासी करने का आदेश दिया. नौ अक्तूबर 2014 को सुनवाई करते हुए निगम प्रशासन ने निर्देश दिया कि नौ बड़े नालों पर से तीन माह में अतिक्रमण हटाएं. अतिक्रमण हटाने की जिम्मेवारी कोर्ट ने तत्कालीन अपर नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक व सीता चौधरी को दी थी. कोर्ट ने 3 नवंबर 2014 को निगम प्रशासन को सख्त निर्देश दिया कि आगे जलजमाव की समस्या नहीं हो. इसको लेकर पटना में व्यापक योजना के तहत डीपीआर तैयार करें,लेकिन आज तक न अतिक्रमण हटा और न ही डीपीआर बनी. इतना ही नहीं हाइकोर्ट ने वार्ड पार्षदों से भी सुझाव मांगा था. पार्षदों के सुझाव पर भी अमल नहीं हुआ. अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति : निगम क्षेत्र में छोटे-छोटे नालों को नौ बड़े नालों से जोड़ा गया. इन बड़े नालों के सहारे सीवरेज के पानी की निकासी होती है, लेकिन इन पर अतिक्रमण था. हाइकोर्ट ने निगम क्षेत्र स्थित सर्पेंटाइन, कुर्जी, राजापुर, पटेल नगर, मंदिरी, बाकरगंज, सैदपुर, कृष्णा पुरी रेलवे हंटर और योगीपुर नालों पर से अतिक्रमण हटाने को हटा था. नगर आयुक्त ने अतिक्रमण हटाने के निर्देश की खानापूर्ति करते हुए सिर्फ एक दिन योगीपुर नाला से अतिक्रमण हटाया. दूसरे नालों से कभी अतिक्रमण हटाया ही नहीं. बाद में फिर से अतिक्रमण हो गया.

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