सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीएवी पटना के मैनेजर व नये प्रभारी प्राचार्य इंद्रजीत राय ने बताया कि संस्थान ने डीएवी बीएसइबी के सिग्नेचरी (एकाउंट प्रभारी) के रूप में डीएवी खगौल के प्राचार्य डीके घोष को बनाया है. अब डीएवी बीएसइबी के एकेडमिक और एकाउंट के किसी भी कागज को इन दोनों प्रभारियों के सिग्नेचर होने के बाद ही आगे बढ़ाया जायेगा.
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डीएवी बीएसइबी के प्राचार्य सस्पेंड
पटना: डीएवी बीएसइबी के प्राचार्य रामानुज प्रसाद को डीएवी संस्थान ने सोमवार को सस्पेंड कर दिया. उनकी जगह इंद्रजीत राय को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है. प्राचार्य के सस्पेंड करने के बाद डीएवी संस्थान की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी भी बनायी गयी है, जो स्कूल के एकाउंट से लेकर एकेडमिक, प्रशासनिक विभाग की जांच […]
पटना: डीएवी बीएसइबी के प्राचार्य रामानुज प्रसाद को डीएवी संस्थान ने सोमवार को सस्पेंड कर दिया. उनकी जगह इंद्रजीत राय को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है. प्राचार्य के सस्पेंड करने के बाद डीएवी संस्थान की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी भी बनायी गयी है, जो स्कूल के एकाउंट से लेकर एकेडमिक, प्रशासनिक विभाग की जांच करेगी. जांच के अनुसार रामानुज प्रसाद पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
जांच के लिए बनायी गयी तीन सदस्यीय कमेटी में डीएवी ओड़िशा जोन के प्राचार्य सह रीजनल डायरेक्टर डॉ केसी सत्यपति, रांची व हजारीबाग के रीजनल डायरेक्टर सह प्रिंसिपल डॉ टीपी पाति और पटना डीएवी के सहायक रीजनल डायरेक्टर सह प्राचार्य इंद्रजीत राय शामिल हैं.
इंद्रजीत राय ने बताया कि डीएवी बीएसइबी छात्रा प्रिया राय के मामले में डीएवी प्रबंधन समिति ने कार्रवाई करते हुए प्राचार्य रामानुज प्रसाद को निलंबित किया है. उन्होंने बताया कि प्रिया राय का फॉर्म स्कूल में भरवाया गया था. उस फॉर्म में छात्र का रौल नंबर पाया गया. ऐसे में मेरी पहली प्राथमिकता होगी कि विद्यालय को सही किया जाये. जांच कमेटी की रिपोर्ट जल्द ही डीएवी प्रबंधन समिति को सौंपी जायेगी.
स्कूल का डॉक्यूमेंट नहीं है सेफ
डीएवी बीएसइबी में कई तरह की गड़बड़ियां हैं. यहां पर जब चाहे कर्मचारी स्कूल का डॉक्यूमेंट को चेंज कर देते हैं. किसी को पास तो किसी को फेल कर देते हैं. ऐसे में स्कूल के साथ संस्थान की गरिमा पर भी प्रश्न चिह्न् लगता है. इसमें सुधार की आवश्यकता है. स्कूल के अटेंडेंस रजिस्टर में छात्रों की संख्या और नामांकित छात्रों की संख्या में भारी अंतर है. इस बाबत डीएवी की डायरेक्टर नीशा पेशिन ने बताया कि स्कूल कैंपस में कई तरह की गड़बड़ियों की शिकायत मिली हैं. हाल ही में एक छात्रा के साथ जिस तरह की घटना हुई है, वह काफी निंदनीय है. इससे डीएवी संस्थान की काफी बदनामी हुई है. उन्होंने बताया कि डीएवी की ओर से स्कूल का हाल में ऑडिट की गयी है. इस ऑडिट में भी काफी त्रुटियां मिली हैं.
सीबीएसइ ने दिया था एक माह का नोटिस
सीबीएसइ के विजिलेंस विभाग की ओर से अक्तूबर में डीएवी बीएसइबी की जांच की गयी थी. जांच में मिली गड़बड़ियों के आधार पर सीबीएसइ की ओर से डीएवी को नोटिस दिया गया था. एक महीने के नोटिस पर कहा गया था कि डीएवी बीएसइबी का एफिलिएशन खत्म कर दिया जायेगा.
जांच रिपोर्ट मिलने पर होगी कार्रवाई
रामानुज प्रसाद के ऊपर कई तरह के आरोप हैं. उन्होंने डीएवी संस्थान को बदनाम करने का काम किया है. उनकी वजह से स्कूल पर सीबीएसइ के विजिलेंस विभाग की जांच हुई है. जांच में कई तरह की गड़बड़ियां पायी गयी हैं. डीएवी की ओर से जांच में कई चीजें निकल कर सामने आयी हैं. इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है. यह कमेटी तह तक जायेगी और हमें सही रिपोर्ट देगी. रामानुज प्रसाद के प्राचार्य के पद पर रहते डीएवी सच का पता नहीं लगा पाती. इस कारण अभी उन्हें सस्पेंड किया गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
नीशा पेशिन, डायरेक्टर, डीएवी पब्लिक स्कूल
इधर रामानुज प्रसाद अंडरग्राउंड, 20 और लोगों ने की शिकायत
डीएवी के पूर्व प्राचार्य रामानुज प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही पुलिस सबूत की फाइल भी मोटी करने में जुटी है. स्कूल के नामांकन में जालसाजी, उनके इशारे पर शिक्षकों की रंगदारी और उसमें प्राचार्य की हिस्सेदारी की पुष्टि के लिए पुलिस एक-एक दस्तावेज जुटाने में लगी है. जालसाजी के परदाफाश के बाद पुलिस के पास लगातार आ रहे आवेदन अनुसंधान की फाइल में जुड़ते जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो अब तक कुल 20 आवेदन पुलिस के पास पहुंच चुके हैं.
दरअसल शास्त्री नगर इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज एफआइआर में पूर्व प्राचार्य रामानुज प्रसाद मुख्य आरोपित जरूर हैं, लेकिन सीधे तौर पर उन पर आरोप नहीं है. जेल भेजे जा चुके शिक्षकों नें भी अपने बयान में कहा है कि प्राचार्य का निर्देश था कि गलत नामांकन वाले मामले में उन्हें सीधे शामिल नहीं किया जाये. कोई भी छात्र-छात्रा इस तरह की शिकायत प्राचार्य से नहीं कर पाता था, उसे मिलने ही नहीं दिया जाता था. सब कुछ शिक्षक ही करते थे. अब पुलिस के सामने प्राचार्य के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाने की चुनौती है, सो पुलिस उसे जुटाने में लगी है.
दो तरीकों से साक्ष्य जुटा रही पुलिस
साक्ष्य जुटाने के लिए दो तरीके अपनाये जा रहे हैं. पहला एडमिट कार्ड जब से बंटना शुरू हुआ है, तब से लेकर 28 फरवरी तक जिन लोगों से झंझट हुआ, उनका लिखित बयान लिया जा रहा है. दूसरा, कुछ लोग सीधे तौर पर प्राचार्य के खिलाफ आवेदन देकर जांच की मांग कर रहे हैं. पुलिस सभी आवेदनों को अनुसंधान की फाइल में लगाती जा रही है. सूत्रों की मानें तो अब तक कुल 20 मामले पुलिस के पास आ चुके हैं. जालसाजी के आरोप में फंसे प्राचार्य इस मामले में घिरते जा रहे हैं. वहीं गिरफ्तारी के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं.
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