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जिसका मन हुआ, उसने खोल ली कंपनी

पटना: नॉन बैंकिंग कंपनियों के मामले में हर दिन एक नया खुलासा हो रहा है. जिसने चाहा, एक नयी कंपनी बना ली और मोटी रकम पर एजेंटों को बहाल कर लिया और फिर एजेंटों के माध्यम से नयी योजनाओं में धन उगाही शुरू कर दी. जबकि रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार नॉन बैंकिंग कंपनी […]

पटना: नॉन बैंकिंग कंपनियों के मामले में हर दिन एक नया खुलासा हो रहा है. जिसने चाहा, एक नयी कंपनी बना ली और मोटी रकम पर एजेंटों को बहाल कर लिया और फिर एजेंटों के माध्यम से नयी योजनाओं में धन उगाही शुरू कर दी. जबकि रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार नॉन बैंकिंग कंपनी शुरू करने के लिए कम-से-कम 200 करोड़ की पूंजी होना अनिवार्य है. आर्थिक अपराध इकाई इन कंपनियों की तहकीकात कर रही है.

कंपनियों का मानना था कि राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावनाएं बढ़ी हैं. ऐसे में आम लोगों से लेकर लोक सेवकों का पैसा भी निवेश हो सकता है. राज्य में जमीन और फ्लैट की कीमतों में जिस तरह बढ़ोतरी हुई, उससे नॉन बैंकिंग बहुत टेंशन हो रहा है, पैसा वापस होगा या नहीं कारोबारियों को अपने कारोबार को लेकर भी भरोसा बढ़ा.

अधिकारियों एवं लोक सेवकों को अधिक ब्याज का लोभ दिया गया. प्रभात खबर इन कंपनियों की तह तक पहुंचा, तो पता चला कि कंपनियों के अधिकारियों ने एजेंटों को भारी क मीशन का लोभ देकर उनसे पैसे की उगाही करवायी. अब जब इन कंपनियों पर पुलिस-प्रशासन का शिकंजा कसने लगा है, तो बड़े निवेशकों को अपने नाम उजागर होने का भय सताने लगा है. इसी बीच जांच के घेरे में आयी रोज वैली ग्रुप की कोर कमेटी के पटना पहुंचने क ी खबर है. सूत्रों के अनुसार, कंपनी के बड़े अधिकारियों की अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर करने की योजना है.

इधर, नॉन बैंकिंग कारोबार से जुड़ी कंपनियों के एजेंटों की सूचना के अनुसार, भ्रष्टाचार पर सरकार की कार्रवाई की लटकी तलवार के बाद अवैध संपत्ति अजिर्त करनेवालों का भरोसा था कि ऐसी कंपनियों में निवेश से उनका पैसा सुरक्षित रहेगा और कम समय में ब्याज भी अधिक मिलेगा. पटना और राज्य के अन्य भागों में जमीनों के भाव चढ़ने क ी खबर ने नॉन बैंकिंग कंपनियों को बिहार आने क ा लोभ दिया था. इसी कड़ी में सारधा ग्रुप, रोज वैली और प्रयास ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने राज्य में अपने कारोबार को कमीशन से जोड़ कर पैसे की जबरदस्त उगाही की.

जब बिहार की तरक्की की कहानी इन कंपनियों तक पहुंची, तो सबसे पहले सारधा ग्रुप ने बिहार की ओर रुख किया. इसके बाद धड़ाधड़ दूसरी कंपनियों के अधिकारी भी यहां दिखने लगे. जानकारी के मुताबिक, प्रयाग ग्रुप के बीडी बक्शी और रोज वैली के गौतम कुंडु ने भी बिहार क ा दौरा किया था.कंपनियों के एजेंट लोगों के पास जाते और उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया जाता था कि इस निवेश की जानकारी सरकार तक को नहीं होगी. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में वैसे निवेशकों पर भी कंपनियों ने ध्यान केंद्रित किया, जिनके घर बाहर से पैसे आते थे. एजेंटों ने उन्हें कम दिनों में अधिक ब्याज का लोभ दिया और निवेशक उसमें फंसते चले गये.

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