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प्रिया प्रकरण : प्राचार्य के निर्देश पर नहीं दिया था एडमिट कार्ड
प्रिया प्रकरण : डीएवी के शिक्षक प्रदीप भारती ने पुलिस के समक्ष दिया बयान, प्रिया राय का प्रवेश पत्र आया हुआ था स्कूल में पटना : डीएवी के शिक्षक प्रदीप भारती ने पुलिस के समक्ष दिये गये बयान में यह स्वीकार किया है कि प्राचार्य के निर्देशानुसार प्रिया राय को उसका एडमिट कार्ड नहीं दिया […]
प्रिया प्रकरण : डीएवी के शिक्षक प्रदीप भारती ने पुलिस के समक्ष दिया बयान, प्रिया राय का प्रवेश पत्र आया हुआ था स्कूल में
पटना : डीएवी के शिक्षक प्रदीप भारती ने पुलिस के समक्ष दिये गये बयान में यह स्वीकार किया है कि प्राचार्य के निर्देशानुसार प्रिया राय को उसका एडमिट कार्ड नहीं दिया गया था.
प्रिया 28 फरवरी को 62 हजार रुपये लेकर अपने पिता के साथ आयी थी, लेकिन बात नहीं बनी थी. उसका एडमिट कार्ड स्कूल में आया हुआ था. उस दिन सनातन महाराणा व गौरांग डे ने प्रिया को बुलाया था. प्रदीप ने बताया कि छात्रा फेल होने के बाद भी स्कूल आया करती थी और स्कूल के कार्यक्रम में भाग लेती थी.
प्रदीप भारती ने अपने बयान में बताया है कि स्कूल में 11 वीं में ही अधिक छात्राों का नामांकन करा लिया जाता है और उस क्लास में फेल करा दिया जाता है या फिर किसी कारण से फाइनल एलओसी भरने पर रोक लगा दी जाती है. इसमें वह गौरांग डे, महाराणा, अजीत कुमार वर्मा से निर्देशानुसार संपर्क कर सांठ-गांठ कर निर्धारित से अधिक लिया जाता है. यह फीस 60 से 80 हजार तक होता है. फीस लेने के बाद ही उसे परीक्षा में शामिल होने के लिए एडमिट कार्ड दिया जाता है. छात्राइस तरह होता था स्कूल में गोरखधंधे का खेल
प्रदीप ने पुलिस को बताया है कि 11 वीं में नामांकन लेने वाले छात्रा का एलओसी (लिस्ट ऑफ कैंडिडेट फॉर रजिस्ट्रेशन) क्लास टीचर से वर्ग सूची मांग कर मेरे द्वारा जांच कर प्राचार्य का हस्ताक्षर करा कर सीबीएसइ बोर्ड को भेजा जाता है. पुन: 11 वीं क्लास में जो लड़का फेल कर जाता है, नियमत: उसका नाम फाइनल एलओसी में भेजने का निर्देश बोर्ड द्वारा नहीं है. परंतु मेरे स्कूल में संबंधित वर्ग शिक्षक से पास छात्राों की सूची बिना क्लास टीचर के हस्ताक्षर के मांग ली जाती है. उसकी जांच मुङो की करनी होती है, परंतु मुङो हस्ताक्षर करने का निर्देश नहीं है.
उक्त सूची प्राचार्य के पास भेज दी जाती है. साथ ही कंप्यूटर टीचर अजीत कुमार वर्मा फेल छात्राों का भी नाम फाइनल एलओसी में जोड़ कर प्राचार्य से हस्ताक्षर, सील व मुहर लगवा कर सीबीएसइ बोर्ड को भेज देता है. हालांकि फेल छात्राों को यह बताया जाता है कि तुम अब परीक्षा नहीं दे सकते हो, जबकि उसका फॉर्म भर दिया जाता है.
प्रिया को भी दी गयी थी फेल होने की जानकारी
प्रदीप ने बयान में बताया है कि इस वर्ष 79 फेल छात्राों का फाइनल एलओसी मेरे निर्देशानुसार भरा गया, जिसमें प्रिया का फॉर्म भी शामिल था. प्रिया को भी यह जानकारी दी गयी थी कि तुम फेल हो, इसलिए परीक्षा नहीं दी जा सकती है. इसके बाद वह अपने परिचित शिक्षक गौरांग डे व महाराणा से संपर्क कर अंतिम समय (परीक्षा के समय) 28 फरवरी को अपने पिता के साथ आयी थी.
बेटी से मिलने को बेचैन रहे प्रिया के माता-पिता
पटना : प्रिया राय भले गुरुवार की रात में मिल गयी, लेकिन शुक्रवार तक प्रिया को लेने और उससे बातचीत करने के लिए माता-पिता के साथ तमाम परिजन महिला थाने में बैठे रहे. प्रिया को महिला थाने में ही रखा गया था. गुरुवार की रात में प्रिया रॉय महिला थाना में ही रही. प्रिया राय के पिता समीर राय ने बताया कि गुरुवार की रात से हम लोग यहीं पर बैठे हुए हैं. मेरी बेटी को पुलिस ने कहां रखा है, इसकी कोई जानकारी नहीं है. शुक्रवार को तीन बजे तक प्रिया से पूछताछ होती रही. पिता समीर ने बताया कि सुबह से ही थाने में हम सब बैठ कर इंतजार कर रहे हैं. रात में प्रिया को घर का खाना देने की अनुमति पुलिस ने दी थी.
करायी गयी मेडिकल जांच
छात्रा प्रिया को फिलहाल महिला थाना पुलिस की सुरक्षा में रखा गया है. महिला थाना पुलिस ने शुक्रवार को पीएमसीएच में छात्रा की मेडिकल जांच भी करायी. हालांकि न्यायालय में छात्रा का बयान नहीं हो पाया था.
राजेंद्र नगर व खगौल में रही थी प्रिया
पटना. डीएवी छात्रा प्रिया 28 फरवरी को स्कूल से निकलने के बाद शेखपुरा स्थित सीबीएसइ कार्यालय गयी थी. वहां से वह खगौल में किसी परिचित के यहां रही और फिर उसका लोकेशन राजेंद्र नगर इलाके का भी मिला था. पुलिस 20 दिनों से उसे खोज रही थी, वह पटना के ही विभिन्न इलाकों में घूम रही थी. हालांकि प्रिया पुलिस को कुछ भी स्पष्ट नहीं बता रही है. पुलिस को उसने जो जानकारी दी है, वह उसका सत्यापन करने में लगी है. उसने पुलिस को केवल इतना बताया है कि वह सीबीएसइ कार्यालय गयी थी और फिर वह इधर-उधर रहने के बाद स्टेशन चली आयी थी. सूत्रों का कहना है कि प्रिया खगौल में ही कहीं किसी परिचित के यहां रह रही थी और वहां से ट्रेन के माध्यम से वह पटना जंकशन पर पहुंची.
पटना से बाहर जाना चाहती थी : पुलिस के लगातार दबाव के कारण अब वह पटना से बाहर निकलने को सोच रही थी, क्योंकि पटना जंकशन से ही बिहार से बाहर जाने के लिए कई ट्रेनें खुलती हैं और वहां से उसे टिकट भी आसानी से मिल सकता था. इसी उद्देश्य को लेकर संभवत: वह प्लेटफॉर्म संख्या एक स्थित टीटी रूम के पास गयी थी, ताकि वहां से ट्रेन की जानकारी लेकर वह पटना से बाहर निकल सके.
साजिश के तहत कराया गया था फेल
पटना : डीएवी स्कूल के शिक्षक सनातन महाराणा ने पुलिस के समक्ष अपने बयान में इस बात को स्वीकार किया है कि प्रिया को पूर्व की योजना के तहत ही 11 वीं में फेल कर दिया गया था. महाराणा ने बताया कि वह प्राचार्य के मौखिक निर्देशानुसार वर्ष 2012/13 व 13/14 के लिए 11 वीं व 12 वीं का रूटीन इंचार्ज था. प्रिया की जान-पहचान गौरांग डे के साथ थी और 11 वीं में निर्देशानुसार उसे फेल करा दिया गया व 12 वीं में प्रोमोट नहीं किया गया.
इसी दौरान छात्रा गौरांग डे के मार्फत संपर्क की और फिर उससे कहा गया कि वह कभी-कभी स्कूल आया करो और अपनी तैयारी करती रहो. हमलोग परीक्षा में शामिल करा देंगे लेकिन खर्च अधिक लगेगा. इसके साथ ही सारा खर्च एक साथ देना होगा. इसके बाद उसे बताये बिना फाइनल एलओसी में नाम डाल कर बोर्ड को भेज दिया गया. कम पैसा व विलंब होने के कारण उसका एडमिट कार्ड जारी नहीं किया गया.
डीएवी के पकड़े गये तीनों शिक्षकों को भेजा गया जेल
पटना : प्रिया मामले में हिरासत में लिये गये डीएवी के तीनों शिक्षक गौरांग डे (दुर्गा नगर, चकदाहो, नदिया, पश्चिम बंगाल वर्तमान मयूर विहार कॉलोनी, राजीव नगर पटना), सनातन महाराणा (कैथा खंडी, पदमानभमपुर, गंजाम, उड़ीसा वर्तमान पूर्वी पटेल नगर आर्य अपार्टमेंट फ्लैट संख्या 25, शास्त्री नगर) और प्रदीप भारती (जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल वर्तमान हरि राधिक सदन, सहदेव पथ पटेल नगर, शास्त्री नगर) को पुलिस ने शुक्रवार को जेल भेज दिया.
इसके पूर्व उन तीनों को इंद्राणी किस्कू के प्रभारी दंडाधिकारी ज्योति प्रकाश की अदालत में पेश किया गया था. अदालत के आदेश के बाद तीनों को जेल भेजा गया.
छात्रा के परिवार के हर सदस्य को जानते थे शिक्षक : एसएसपी
एसएसपी जितेंद्र राणा ने बताया कि गौरांग डे ने प्रिया को फेल होने के पश्चात भी आवेदन भरवाने का आश्वासन दिया था और उसे स्कूल में क्लास करने और अन्य कार्यक्रम में भाग लेने में मदद की थी. छात्रा के गायब होने के बाद उसने पूछताछ में छात्रा को न पहचानने की जानकारी दी थी, जबकि वह छात्रा के परिवार के हर सदस्य को जानता था. छात्रा की मौसी के परिवार से भी उसके मधुर संबंध थे. पुलिस को उसने गलत जानकारी दी थी. इसके साथ ही महाराणा ने भी गौरांग की मदद की थी, जबकि भारती स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक है और आवेदन फॉर्म इंट्री करने का काम उसी का है. सभी ने मिल कर छात्रा के फेल होने के बाद भी आवेदन भर कर सीबीएसइ के पास भेजा और छात्रा का एडमिट कार्ड भी प्राप्त कर लिया. इन लोगों ने इसके एवज में पैसा मांगा.
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