उसे पागल बना जान से मार देना चाहते हैं. वह पिछले छह महीने से गायघाट स्थित रिमांड होम में रह रही है. उसे यह भी नहीं पता कि वह कब बाहर जायेगी और उसका कसूर क्या है. गायघाट स्थित रिमांड होम में 136 लड़कियां रह रही हैं. इनमें से ट्रैफिकिंग की शिकार आठ लड़कियां हैं. 34 अन्य मामलों में,14 बच्चे, पांच जेजे एक्ट, 17 भूली भटकी व 58 मानसिक विक्षिप्त के रूप में रह रही हैं.इन्हीं में एक नाजिया खातून है, जो धर्म परिवर्तन की सजा काट रही है.
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धर्म बदलने की मिली सजा, पति ने बना दिया पागल
पटना: नाजिया खातून (परिवर्तित नाम) ने बहुत दर्द सहे हैं. पति व ससुराल वाले उसे अक्सर तरह-तरह की यातनाएं देते थे. कभी गरम पानी डाल देते, तो कभी आग से जलाते. उसका कसूर बस इतना था कि ससुराल की अनुमति के बगैर धर्म बदल लिया था. इससे उसके परिवारवाले उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं. […]
पटना: नाजिया खातून (परिवर्तित नाम) ने बहुत दर्द सहे हैं. पति व ससुराल वाले उसे अक्सर तरह-तरह की यातनाएं देते थे. कभी गरम पानी डाल देते, तो कभी आग से जलाते. उसका कसूर बस इतना था कि ससुराल की अनुमति के बगैर धर्म बदल लिया था. इससे उसके परिवारवाले उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
शादी के बाद ससुराल के बदले पहुंची रिमांड होम : दूसरी ओर वहां रह रही युवतियों में अधिकतर वैसी थीं जो प्रेम विवाह करने के बाद सजा के रूप में रिमांड होम में हैं. इनमें भागलपुर,वैशाली व समस्तीपुर जिलों की हैं. जिन्हें प्रेम विवाह करने के बाद घरवालों द्वारा केस करने पर रिमांड होम में रखा गया है. अधिकतर इंटर की पढ़ाई कर रही थीं. पूछने पर बताया कि सर्टिफिकेट में 18 वर्ष पूरा नहीं होने पर घरवालों ने केस कर दिया. इससे पुलिस द्वारा यहां रखा गया है. अब ये अपने माता-पिता के पास जाना नहीं चाहती हैं और ससुरालवाले ले जाना नहीं चाहते.
फाइलों की जांच : आयोग की टीम ने रिमांड होम में रह रही युवतियों से बातचीत की. अधीक्षक संगीता मिश्र से पूरी जानकारी ली. वैसी किशोरियों व महिलाओं की फाइल देखी गयी, जिन मामलों में उन्हें आसानी से पुनर्वासित किया जा सकता है. आयोग की अध्यक्ष अंजुम आरा ने बताया कि जो मिसिंग हैं या जिनकी सजा समाप्त होनेवाली है. उन्हें उनके परिवार के सदस्यों के साथ काउंसेलिंग कर उन्हें आसानी से पुनर्वासित किया जा सकता है. मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाएं व ट्रैफिकिंग की शिकार किशोरियों को उनके परिजनों के पास भेजा जायेगा.
अपने बच्चों के पास जाना चाहती है नाजिया
जब इसकी जानकारी ससुरालवालों को लगी, तो सभी लोगों ने मारपीट शुरू कर दी. यहां तक की जला कर मारने की भी कोशिश की गयी. एसपी की मदद से उसे अरवल के अल्पावास में रखा गया. इसके बाद वहां भी डॉक्टर व ससुरालवाले की मिलीभगत से पागल बनाया गया. इसके बाद जब वहां के डीएम को पत्र लिख कर सभी बात की जानकारी दी गयी,तो औरंगाबाद के अल्पावास में भेज दिया गया. वहां कुछ दिन रखने के बाद अब छह महीने से रिमांड होम में है. वह अपने बच्चों के पास जाना चाहती है, लेकिन वह कब तक यहां रहेगी. इसकी जानकारी नहीं है.
गायघाट पहुंची आयोग की पांच सदस्यीय टीम
राज्य महिला आयोग की पांच सदस्यीय टीम गायघाट स्थित रिमांड होम पहुंची, जहां लड़कियों की स्थिति का जायजा लिया. नाजिया ने बताया कि वह हिंदी से ग्रेजुएट है. उसकी ससुराल अरवल में है. उसके दो बच्चे हैं. वह हिंदू परिवार से है. उसने बताया कि कुछ समय से उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती थी. वह अक्सर मजार पर जाया करती थी. इससे तबीयत में भी सुधार होने लगा. इससे वहां के मौलवी की मदद से 27 फरवरी, 2014 को धर्म बदल कर मुसलिम बन गयी.
घूम-घूम कर जाना रिमांड होम का हाल
आयोग की सदस्य सविता नटराज, रेणु सिन्हा,रीना कुमारी व शहनाज बानो समेत छह सदस्यीय टीम ने रहने-खाने व शौचालय का जायजा लिया. हर सेक्शन में घूम-घूम कर किशोरियों से बातचीत की और खुल कर बात कहने को कहा.
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