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जोड़ : प्रभात लाइव: का बड़ा बाबू आइए ना, भोजन नहीं करिएगा ?

संवाददाता, पटनाबड़ा बाबू आइए ना, भोजन नहीं करियेगा? जैसे ही नगर निगम के एक ठेकेदार को शराब दुकान की लाइसेंस मिली तो श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल से निकलते ही उसने अपने इलाके के थानेदार को फोन किया. क्या कहते हैं? बाद में आइएगा. अरे नहीं सर आइए ना डाकबंगला पर. वहीं सारा व्यवस्था है. आइए […]

संवाददाता, पटनाबड़ा बाबू आइए ना, भोजन नहीं करियेगा? जैसे ही नगर निगम के एक ठेकेदार को शराब दुकान की लाइसेंस मिली तो श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल से निकलते ही उसने अपने इलाके के थानेदार को फोन किया. क्या कहते हैं? बाद में आइएगा. अरे नहीं सर आइए ना डाकबंगला पर. वहीं सारा व्यवस्था है. आइए वेट कर रहे हैं. उसने आगे अपनी बात खत्म करते हुए फोन काटा. दबंग माने जाने वाले उन साहेब के साथ दस-पंद्रह और लोग भी चल रहे थे. वह हॉल से जश्न मनाते हुए निकल रहे थे. वहीं दूसरी ओर आवंटन से बाहर हुए आवेदक मायूस थे. ..अरे पहले ही कहा था. कम से कम तीन जगह आवेदन करो. पैसा बचाने के चक्कर में कुछ नहीं मिला ना? हमने भी इन्हें यही सलाह दी थी. एक दूसरे सहयोगी ने फिर से तंज कसा. चलो कोई बात नहीं अगली बेरा ट्राइ करेंगे. इतना कह कर भारी मन से वे निकल गये. इधर लाइसेंस लेने वाले के साथ आया पालीगंज का सुशील अपने इलाके के एक ठेकेदार से बोल उठा, का महाराज कहे थे कि खाना पीना का व्यवस्था रहेगा. यहां तो पानियों पर आफत है. जल्दी व्यवस्था कराइए नहीं तो हम चले. दूसरी ओर एसकेएम परिसर में ही हर दूसरी फोर व्हीलर गाड़ी के भीतर में तीन से चार लोग बैठे थे. पहले तो भारी गरमी में इनके अंदर बैठे रहने का माजरा नहीं समझ में आया, लेकिन जल्द ही एक हथियार के साथ गाड़ी में बैठे आदमी को देख कर अहसास हो गया कि इन गाडि़यों में लाखों रुपये रखे हुए हैं जो लाइसेंस लेने वाले लोगों को जमा कराना था.

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