पटना: पटना हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रेखा एम दोशित ने कहा कि जिला न्यायाधीशों व मजिस्ट्रेटों को पुलिस द्वारा पेश चाजर्शीट को स्वीकार करने के पहले पूरी जांच रिपोर्ट और आरोपित व पीड़ित के बयान को गंभीरता से पढ़ना चाहिए. इससे 70 फीसदी केस पहले ही हल हो जायेंगे. वे शनिवार को पुलिस मुख्यालय व बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि राज्य में ऑल इज वेल है, ऐसा नहीं कह सकते. पहले समस्या को चिह्न्ति करने की जरूरत है, फिर उसके समाधान पर विचार करना होगा.
पीड़ित के पुनर्वास पर दें ध्यान
उन्होंने कहा कि भारत में न्याय की नयी प्रणाली विकसित हो रही है. इसमें पीड़ित के पुनर्वास व प्रशिक्षण की ओर भी ध्यान दिया जा रहा है. जज को फैसले से पहले पीड़िता को सुनना चाहिए. निर्णय के दौरान यह देखना जरूरी है कि पीड़ित का कानून सम्मत पुनर्वास व मुआवजा का प्रावधान लागू हो. इसके पहले बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी के अध्यक्ष व पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीएन सिन्हा ने फोरेंसिक सायंस को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे घटनाक्रम की जांच व न्याय निर्णय में सहूलियत होती है.
संयुक्त प्रशिक्षण सत्र पर जोर
समापन सत्र में न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने कहा कि पुलिस व कोर्ट संविधान की सर्वोच्चता का ख्याल रखें, न कि अभियुक्त को सजा दिलाने को लेकर सोचे. गृह सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि जज व पुलिस अधिकारियों के एक साथ प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने पर जोर दिया जाना चाहिए. डीजीपी अभयानंद ने कार्यशाला को बहुआयामी व बहुउपयोगी बताया.