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आखिर राइफल के ट्रिगर पर किसका है फिंगर प्रिंट!
पटना : जिस राइफल से हवलदार रामविशुन यादव व सिपाही सदानंद की हत्या की गयी उसके ट्रिगर पर किसके फिंगर प्रिंट हैं, इसका खुलासा एफएसएल रिपोर्ट से होगा. पुलिस रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. आरोपित सिपाही की वरदी पर मिले खून के धब्बे व मोबाइल की सीडीआर भी जांच के दायरे में हैं. पुलिस […]
पटना : जिस राइफल से हवलदार रामविशुन यादव व सिपाही सदानंद की हत्या की गयी उसके ट्रिगर पर किसके फिंगर प्रिंट हैं, इसका खुलासा एफएसएल रिपोर्ट से होगा. पुलिस रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. आरोपित सिपाही की वरदी पर मिले खून के धब्बे व मोबाइल की सीडीआर भी जांच के दायरे में हैं.
पुलिस इस दोहरे हत्याकांड की हकीकत सामने लाने के लिए घटना से जुड़े तथ्य व सबूतों को जुटाने में लगी हुई है, क्योंकि जेल जाने तक सिपाही मुकेश रजक गोली चलाने की बात से इनकार करता रहा. हालांकि घटनास्थल के हालात उसकी बेगुनाही पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
हवलदार रामविशुन यादव व सिपाही सदानंद की हत्या के मामले में पुलिस आरोप पत्र कोर्ट में जल्द दायर करेगी. पुलिस की प्रारंभिक जांच में सिपाही मुकेश रजक द्वारा हत्या किये जाने के पुलिस के दावे के बाद इसे साबित करने के लिए तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं.
अब तक मुकेश ने हत्या करने की बात स्वीकार नहीं की है. घटना का चश्मदीद गवाह और आरोपित दोनों मुकेश ही है, इसलिए हत्या का रहस्य पूरी तरह से उजागर करने के लिए घटनास्थल से मिले सबूत ही ताबूत में आखिरी कील साबित होंगे. अब सबूत जुटाने की चुनौती है. इसके लिए जिस राइफल से गोली चलायी गयी है, उसकी बैलेस्टिक जांच, ट्रिगर पर मिले फिंगर प्रिंट और मुकेश की वरदी पर मिले खून के धब्बे की रिपोर्ट का पुलिस को इंतजार है. एफएसएल टीम जल्द रिपोर्ट सौंप देगी.
मुकेश की क्रिमिनल हिस्ट्री खंगाल रही पुलिस
दोहरे हत्याकांड में पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आरोपित सिपाही मुकेश रजक की क्रिमिनल हिस्ट्री है या नहीं. इसके लिए पटना पुलिस ने जमुई पुलिस से संपर्क किया है. उसके गांव लछुआरा व संबंधित थाने से फीडबैक लिया जा रहा है. पुलिस पदाधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से दो पुलिसकर्मियों की एक साथ हत्या की गयी है, उससे साफ है कि इस तरह की वारदात क्रिमिनल माइंडेड लोग ही कर सकते हैं. जांच की कड़ी में सिपाही मुकेश के क्रिमिनल हिस्ट्री को देखा जा रहा है.
छुट्टी को लेकर ऐसा बढ़ा विवाद
जांच में पता चला है कि हवलदार को भी छुट्टी पर जाना था. उनकी आठ दिनों की छुट्टी मंजूर थी. मुकेश भी छुट्टी मांग रहा था, जबकि वह बिना मंजूरी के पांच दिनों के लिए घर गया था. वहीं सदानंद को जनवरी से छुट्टी नहीं मिली थी. रामविशुन ने मुकेश से कहा था कि जब सदानंद आ जायेगा, तब उसे छुट्टी मिलेगी. इसी बात को लेकर मुकेश नाराज था. उसे लग रहा था कि रामविशुन खुद छुट्टी पर जा रहे हैं और सदानंद को भी दे रहे हैं. इसी बात को लेकर तीन दिनों से विवाद चल रहा था. वहीं निरीक्षण के दौरान हाजिरी रजिस्टर जब्त हो जाने से विवाद और बढ़ गया.
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