पटना: जेल में कैदियों की परेशानियों के निबटारा के लिए ऑन द स्पॉट प्रावधान है, लेकिन यह व्यावहारिक तौर पर कारगर नहीं है. इसका कारण जेलों में नियमित रूप से बंदी दरबार का नहीं लगना है. खुलासा गृह सचिव और जेल आइजी की उच्चस्तरीय बैठक में हुआ. जिलाधिकारियों को ताकीद की गयी है कि वे बंदी दरबार को हल्के में नहीं लें. नियमित रूप से हर दो माह पर कैदियों की शिकायत सुनें और उनकी समस्याओं का समाधान करें.
नहीं आती है रिपोर्ट
जेल विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य में 56 जेल हैं. पिछले माह 20 जेलों में ही बंदी दरबार लगे. 36 जेलों में बंदी दरबार नहीं लगे. जिन जिलों में बंदी दरबार लगे वहां क्या कार्रवाई हुई. कितने कैदियों ने अपनी शिकायत दर्ज करायी.
इसकी सूचना सरकार को नहीं है. जबकि जेल अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश है कि कितने कैदियों ने अपनी फरियाद दरबार में रखी और कितने का निबटारा हुआ इसकी सूचना हर हाल में दें. अधिकारी मानते हैं कि समय पर कैदियों की शिकायत नहीं सुनने पर वहां हंगामा होता है. कभी-कभी तो हंगामा हिंसक रूप ले लेता है.