अगर सदानंद को कोई और गोली मारता, तो उसकी स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह राइफल को छीन कर अगले पर फायरिंग कर सके. जिस थ्री नॉट थ्री राइफल से गोली चलायी गयी है, उससे सदानंद के सीने में बड़ा छेद हो गया था. इतना घायल होने पर वह राइफल छीन ही नहीं सकता था, जिससे यह स्पष्ट था कि किसी तीसरे ने ही गोली चलायी थी.
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अनुसंधान में सिपाही मुकेश की संलिप्तता आयी सामने, भेजा जेल पहले सिपाही, फिर हवलदार रामविशुन को मारी थी गोली
पटना: विक्रम ब्लॉक मुख्यालय के अंचल गार्ड क्र्वाटर में सोमवार को सिपाही मुकेश रजक ने पहले सिपाही सदानंद को गोली मारी और फिर वहां से भाग रहे हवलदार रामविशुन यादव की गोली मार कर हत्या कर दी थी. सदानंद को सीने में गोली लगी थी, जो पीठ से पार हो गयी. वहीं रामविशुन यादव को […]
पटना: विक्रम ब्लॉक मुख्यालय के अंचल गार्ड क्र्वाटर में सोमवार को सिपाही मुकेश रजक ने पहले सिपाही सदानंद को गोली मारी और फिर वहां से भाग रहे हवलदार रामविशुन यादव की गोली मार कर हत्या कर दी थी. सदानंद को सीने में गोली लगी थी, जो पीठ से पार हो गयी. वहीं रामविशुन यादव को पीठ में गोली लगी थी, जो छाती से निकल गयी.
ये बातें पुलिस के अनुसंधान में सामने आयी हैं. हालांकि सिपाही मुकेश अपनी संलिप्तता से इनकार कर रहा है. मालूम हो कि हवलदार राम किशुन इसी साल 30 दिसंबर को रिटायर होनेवाले थे. उधर विक्रम थाने में हत्या की प्राथमिकी दर्ज कर आरोपित सिपाही मुकेश रजक (जमुई, लछुआरा) को पुलिस ने मंगलवार को जेल भेज दिया.
काफी सरल स्वभाव के थे रामविशुन
नौबतपुर. नौबतपुर के अजवां बथानी गांव निवासी रामविशुन यादव काफी सरल स्वभाव के थे. उनका व्यवहार भी काफी अच्छा था. उनके बड़े पुत्र ज्योति कुमार ने बताया कि मेरे पिता सबसे पहले होमगार्ड में तैनात थे और उसके बाद बिहार पुलिस में अपना योगदान दिया था. वे जब भी गांव आते थे, अपने साथ कार्य करनेवाले सिपाहियों की शिकायत करते थे. वे कहते थे कि मैं सिपाहियों को हमेशा छुट्टी दे देता हूं, पर वे बिना पूछे ही चले जाते हैं. उनके गांव के ही कामेश्वर यादव, सहदेव यादव, वकील यादव ने बताया कि वे घर आने पर खाली समय में सबसे मिलते-जुलते थे और यहां के युवाओं को मार्गदर्शन करते थे. रामविशुन अपने घर में अकेले कमाने वाले थे. उनके दोनों पुत्र बेरोजगार हैं. वे अपनी पोती की शादी की तैयारी में लगे थे, लेकिन उनका यह सपना टूट गया. वहीं छोटे पुत्र ने बताया कि वे सेवानिवृत्त होने के बाद लोगों की सेवा करना चाहते थे.
संदिग्ध स्थिति में पड़ी थी एक राइफल
इस घटना में एक ही राइफल का प्रयोग किया गया है. यह राइफल (बट संख्या 1077) सदानंद के नाम पर ही इश्यू की गयी थी. इसके अलावा वहां पांच अन्य राइफलें भी पड़ी हुई थीं, लेकिन उन राइफलों से बुलेट फायर होने की गंध नहीं आ रही थी. हालांकि वहां पर एक और राइफल संदिग्ध स्थिति में पड़ी हुई थी. ऐसी स्थिति में पुलिस ने दोनों राइफलों को बैलेस्टिक जांच के लिए जब्त कर लिया गया और उनको एफएसएल में आवश्यक कानूनी प्रक्रिया कर भेज दिया गया. सिटी एसपी (पश्चिमी) राजीव मिश्र ने आरोपित सिपाही की जेल भेजे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि बरामद राइफल से अंगुलियों के निशान एफएसएल ने लिये हैं और राइफल को बैलेस्टिक जांच के लिए भेजा गया है.
राइफल चोरी का प्रयास तो नहीं?
मंगलवार को मुकेश ने पूछताछ के दौरान पुलिस के समक्ष हमेशा यह बात कही कि उसने घटना को अंजाम नहीं दिया है. सूत्रों के अनुसार ऐसा तो नहीं है कि बैरक में रखी राइफलों को किसी ने ले जाने का प्रयास किया हो? मुकेश रजक का घर जमुई इलाके में है, जो नक्सल प्रभावित है. इससे शक किया जा रहा है कि मुकेश के इशारे पर किसी ने वहां से राइफलों की चोरी करने का प्रयास तो नहीं किया था, क्योंकि उस समय वहां तीन सिपाही मौजूद नहीं थे. आदमी कम रहने से वहां से राइफलों को ले जाना काफी आसान था. आशंका यह भी व्यक्त की जा रही है कि इस दौरान हवलदार रामविशुन व सिपाही सदानंद द्वारा देख लिया गया होगा, जिससे उनकी हत्या कर दी गयी हो. इन तमाम बिंदुओं पर पुलिस अनुसंधान कर रही है.
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