पटना: अपनी सरकार के फैसले को निरस्त कर देने के नीतीश सरकार के फैसले के खिलाफ जीतन राम मांझी नौ मार्च को गांधी मैदान में उपवास पर बैठेंगे. गांधी मूर्ति के समीप उपवास पर मांझी समर्थक नेता भी बैठेंगे.20 अप्रैल को गांधी मैदान में गरीब स्वाभिमान रैली का निर्णय लिया गया है. पूर्व मंत्री व […]
पटना: अपनी सरकार के फैसले को निरस्त कर देने के नीतीश सरकार के फैसले के खिलाफ जीतन राम मांझी नौ मार्च को गांधी मैदान में उपवास पर बैठेंगे. गांधी मूर्ति के समीप उपवास पर मांझी समर्थक नेता भी बैठेंगे.20 अप्रैल को गांधी मैदान में गरीब स्वाभिमान रैली का निर्णय लिया गया है. पूर्व मंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोरचा (हम) के प्रवक्ता नीतीश मिश्र ने कहा कि मांझी सरकार के तैयार रोड मैप पर चलने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाध्य होंगे. मांझी कैबिनेट के लिये गये तीन दर्जन निर्णयों को नये सिरे से मुख्यमंत्री लागू कर खुद उसका श्रेय लेंगे.
मांझी कैबिनेट के फैसले को निरस्त करने के विरोध में नौ मार्च को गांधी मैदान में गांधीमूर्ति के समक्ष एक दिन का उपवास रखा गया है.
16 मार्च से प्रमंडलवार गरीब स्वाभिमान सम्मेलन की शुरुआत हो जायेगा. जिस कुशलता के साथ नौ माह की बागडोर संभाली, जिसमें शासन के किसी भी व्यक्ति के साथ छेड़छाड़ नहीं की गयी. मुख्य सचिव वहीं हैं, जो नीतीश कुमार के कार्यकाल में थे. मांझी के सत्ता में आने पर सात मंत्रियों को छोड़कर शेष मंत्री भी वहीं हैं. जब सभी मशीनरी वहीं है तो आखिर किस रूप में कहा जा रहा है कि मांझी सरकार का एजेंडा रिवर्स था. विधानसभा में मोरचा की रणनीति का निर्धारण 10 मार्च को मांझी गुट से जुड़े विधायकों द्वारा सामूहिक रूप से लिया जायेगा.
जितना दिन विधानसभा का सत्र चलेगा, उस दौरान हिंदुस्तान आवामी मोरचा के पहले दौर का सांगठनिक ढांचा और गतिविधियां पूरी कर ली जायेंगी. उसके बाद शेष चार माह में पूरे राज्य में पार्टी का संगठन तैयार कर लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि विधानसभा की सदस्यता रद्द किये गये जदयू के आठ बागी विधायक भी मोरचा के साथ है. उन्होंने बताया कि मोरचा की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां किसी एक नेता का आदेश नहीं चलता. हम के सभी सदस्य सामूहिक निर्णय से पार्टी के फैसले लेते हैं.