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क्यों रद्द किये गये ये फैसले

ये फैसले ऐसे थे, जिनका प्रस्ताव किसी संबंधित विभाग ने औपचारिक या विधिवत तरीके से कैबिनेट में शामिल नहीं किया था, बल्कि मांझी कैबिनेट ने इन पर स्वयं संज्ञान (शो-मोटो) लेते हुए पास किया था. पहले संबंधित विभाग प्रस्ताव को विधि व वित्त विभागों के पास भेजता है. इसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाता […]

ये फैसले ऐसे थे, जिनका प्रस्ताव किसी संबंधित विभाग ने औपचारिक या विधिवत तरीके से कैबिनेट में शामिल नहीं किया था, बल्कि मांझी कैबिनेट ने इन पर स्वयं संज्ञान (शो-मोटो) लेते हुए पास किया था. पहले संबंधित विभाग प्रस्ताव को विधि व वित्त विभागों के पास भेजता है. इसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाता है. लेकिन, इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था.दोबारा पारित कराने होंगे फैसलेमांझी कैबिनेट के रद्द होनेवाले फैसलों में अगर किसी फैसले को विभाग महत्वपूर्ण मानता है, तो इसे फिर से विधिवत तरीके से पास कराना होगा. यानी प्रस्ताव को वित्त और विधि विभाग से गुजरने के बाद कैबिनेट विभाग को सौंप सकता है. इस तरीके से आये एजेंडे पर कैबिनेट विचार कर सकता है. इनमें कई ऐसे एजेंडे हैं, जिन्हें फिर से पारित कराने के लिए कैबिनेट के पास भेजने की संभावना है. इनमें पुलिस बलों को 13 माह का वेतन, साइकिल-पोशाक के लिए 75 फीसदी हाजिरी की अनिवार्यता खत्म करना, ठेके में एससी-एसटी को आरक्षण, पासवान को महादलित में शामिल करना समेत अन्य कुछ फैसले अहम हैं.

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