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सेंट जेवियर्स की तानाशाही छात्र को परीक्षा देने से रोका
पांच दिन स्कूल नहीं आया, तो प्रबंधन ने दिया निकाल मोइन आजाद, पटना स्कूल की मनमानी आये दिन हमारे सामने आती है. ऐसा ही एक मामला सेंट जेवियर्स हाई स्कूल का है. पांच दिनों की छुट्टी पर गया 10वीं क्लास का छात्र तुषार को स्कूल ने ना सिर्फ निकाल दिया, बल्कि अब उसे 10वीं बोर्ड […]
पांच दिन स्कूल नहीं आया, तो प्रबंधन ने दिया निकाल
मोइन आजाद, पटना
स्कूल की मनमानी आये दिन हमारे सामने आती है. ऐसा ही एक मामला सेंट जेवियर्स हाई स्कूल का है. पांच दिनों की छुट्टी पर गया 10वीं क्लास का छात्र तुषार को स्कूल ने ना सिर्फ निकाल दिया, बल्कि अब उसे 10वीं बोर्ड परीक्षा देने से भी रोक दिया गया है. 27 फरवरी से बोर्ड की परीक्षा होनी है. पिछले 10 महीने से तुषार के अभिभावक स्कूल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन स्कूल मानने को तैयार नहीं है.
क्या है मामला
मार्च में 9वीं का फाइनल परीक्षा देने के बाद तुषार कुछ अंक से फेल कर गया. स्कूल ने तुषार सहित 16 छात्रों को 9वीं से 10वीं में प्रमोट किया गया. अप्रैल में नये सेशन की शुरुआत हुई. तुषार बताता हैं कि तीन दिनों तक मैंने नियमित क्लास किया. इसका प्रमाण हमारे पास स्कूल डायरी में मौजूद हैं. इसी बीच अचानक मेरी दादी की तबीयत खराब हो गयी. इस कारण मुङो शहर के बाहर जाना पड़ा. इतनी जल्दी गया कि स्कूल को भी इसकी सूचना नहीं दे पाया.
दादी की तबीयत अधिक खराब होने से मुङो आने में सात दिन लग गये. वापस आने के बाद जब स्कूल गया तो क्लास में नहीं जाने दिया गया. प्रिंसिपल से मिला. प्रिंसिपल ने कहा कि बिना सूचना के स्कूल नहीं आने के कारण तुम्हें स्कूल से निकाला जा रहा है. अब तुम स्कूल मत आना. उस दिन मैं वापस तो आ गया, लेकिन फिर दूसरे दिन गया.
फिर मुङो वापस भेज दिया गया. कई दिनों तक जाने के बाद भी जब प्रिंसिपल ने बात नहीं मानी तो मैंने अपने अभिभावक को यह बात बतायी. तुषार ने बताया कि स्कूल की डायरी के अलावा साल भर स्कूल से लगातार क्लास और फेयरवेल के शेड्यूल का मैसेज भी आ रहा था.
स्कूल से पिता ने की अपील
तुषार के पिता प्रदीप कुमार ने प्राचार्य से नरमी बरतने की अपील की. लेकिन पिता प्रदीप कुमार के अपील को खारिज कर दिया गया. उसके बाद प्रदीप कुमार ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में मामले को दर्ज करवाया. पिता प्रदीप ने बताया कि मैंने आइसीएसइ बोर्ड के पास भी मेल किया और फैक्स भी किया हैं. लेकिन न्याय नहीं मिला हैं.
एक दिन भी क्लास नहीं किया
तुषार नाम का स्टूडेंट हमारे स्कूल काछात्र नहीं हैं. 9वीं में उसे कम अंक आये. स्कूल ने उसे 10वीं में प्रमोट किया, लेकिन उसने एक भी दिन क्लास नहीं की. पूरा साल वह क्लास करने नहीं आया. स्कूल ने कई बार उसे बुलावा भी भेजा. अब जब परीक्षा का समय आया है, तो हम कैसे उसे बोर्ड परीक्षा देने दे सकते है. आयोग से ज्यादा मैं बोर्ड की सुनूंगा. आयोग की बात मानने का कोई मतलब ही नहीं है.
फादर जैकॉब, प्रिंसिपल, सेंट जेवियर्स हाई स्कूल
स्कूल क्लास नहीं करने देता
मैं बच्चे का भविष्य चाहता हूं. मैं अपने काम के कारण थोड़ा व्यस्त जरूर रहता हूं, लेकिन बच्चों के भविष्य को लेकर सजग हूं. परीक्षा नहीं देने से तुषार का भविष्य खराब हो जायेगा. उसे कहीं और नामांकन भी नहीं मिलेगा. मेरा बेटा डिप्रेशन में चला गया है. 10 महीने से स्कूल का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन स्कूलवाले उसे क्लास नहीं करने देते हैं. थककर मैंने बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास मामला दर्ज करवाया है.
प्रदीप कुमार, पिता
बाल अधिकार का हनन
यह बाल अधिकार का हनन है
सेंट जेवियर्स हाई स्कूल के खिलाफ कई मामले दर्ज हुए हैं. आयोग ने तुषार के मामले पर आइसीएसइ को भी पत्र लिखा है. अगर तुषार इस बार परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है, तो इसकी जिम्मेदार आइसीएसइ बोर्ड की होगी. मैंने स्कूल के पास नोटिस भेजा है किकिस आधार पर बच्चे को स्कूल से निकाला गया था. शिक्षा के अधिकार के तहत कोई भी स्कूल इस तरह किसी के साथ नहीं कर सकता है.
निशा झा, अध्यक्ष, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग
इधर हाइकोर्ट ने कहा
प्राचार्य छात्र को दिलवाये परीक्षा
पटना : संत जेवियर स्कूल पटना के दसवीं का छात्र तुषार कुमार आइसीएसइ बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में शामिल हो सकेगा. पटना हाइकोर्ट ने बोर्ड और स्कूल के प्राचार्य को निर्देश दिया है कि तुषार को परीक्षा में शामिल होने दिया जाये.
न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने निर्देश दिया है कि इसके लिए अलग से भी व्यवस्था करनी पड़े तो की जाये और परीक्षा देने दिया जाये. साथ ही आइसीएसइ बोर्ड और प्राचार्य को भी इस मामले में जवाब देने को कहा जाये. इस मामले पर 24 मार्च को सुनवाई होगी. मंगलवार को अजीबो-गरीब स्थिति में हाइकोर्ट ने यह निर्देश दिया.
हाइकोर्ट में वकीलों की हड़ताल थी. जज तो कोर्ट में बैठे थे, लेकिन किसी भी मामले की सुनवाई नहीं हो रही थी. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी भी कोर्ट रूम में बैठे थे. अचानक प्रदीप कुमार सीधे अंदर चले गये. वो कहने लगे कि हुजूर एक बहुत ही गंभीर मामला है. उस पर सुनवाई भी जरूरी है. वकील नहीं मिल रहे हैं. उनकी स्ट्राइक है. न्यायाधीश ने पूछा कि क्या मामला है बताएं. प्रदीप कुमार ने उन्हें पूरा मामला बताया.
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