28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तंगहाली से टूट गया था दारोगा योगेंद्र

पटना. इसे विडंबना ही तो कहेंगे कि एक ओर बिहार में मांझी सरकार पुलिसकर्मियों को वेतन की सौगात देती है, तो दूसरी ओर वेतन के अभाव में कई पुलिसकर्मी अवसाद की जिंदगी जीने जी रहे हैं. वे ड्यूटी तो कर रहे हैं, लेकिन उनकी आर्थिक तंगी पर ध्यान देनेवाला कोई नहीं हैं. दूसरों के मामलों […]

पटना. इसे विडंबना ही तो कहेंगे कि एक ओर बिहार में मांझी सरकार पुलिसकर्मियों को वेतन की सौगात देती है, तो दूसरी ओर वेतन के अभाव में कई पुलिसकर्मी अवसाद की जिंदगी जीने जी रहे हैं. वे ड्यूटी तो कर रहे हैं, लेकिन उनकी आर्थिक तंगी पर ध्यान देनेवाला कोई नहीं हैं.

दूसरों के मामलों में संज्ञान लेनेवाले पुलिसकर्मी के घरों में चूल्हे जल रहे हैं या नहीं, इस पर भी कोई संज्ञान लेनेवाला नहीं है. बुधवार को जहां एक ओर सीएम जीतन राम मांझी ने पुलिस को साल भर में 13 माह के वेतन का तोहफा दिया, तो उसी दिन दूसरी ओर वेतन के अभाव में सुसाइड करनेवाले दारोगा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट परिजन ले रहे थे. मृतक के परिजनों ने पत्रकार नगर थाने में आवेदन देकर कहा, वेतन नहीं मिलने से अवसाद में थे योगेंद्र और उसने मंगलवार को सुसाइड कर लिया.

वह वरदी पहनता था, ड्यूटी करता था, लेकिन महीने की अंतिम तारीख यूं ही गुजर जाती थी. जी हां! दारोगा योगेंद्र कुमार सिंह को दो साल से वेतन नहीं मिल रहा था. विभाग ने जब चाहा, जहां चाहा उससे ड्यूटी ली, लेकिन उसकी अर्जी पर किसी ने संवेदना नहीं दिखायी. वह वरीय पुलिस पदाधिकारियों के पास दौड़ता रहा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. आर्थिक तंगी बढ़ती गयी, बच्चों की पढ़ाई का खर्च आड़े आने लगा, घर चलाना मुश्किल हो गया. दो साल के इस आर्थिक संघर्ष के बाद वह टूट गया और उसने फांसी लगा कर जान दे दी.
बुधवार को मृत दारोगा के भगीना अनुपम (पश्चिमी चंपारण) ने पत्रकार नगर थाने में आवेदन देकर वेतन नहीं मिलने को मौत का कारण बताया. उधर पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को पुलिस लाइन लाया, जहां राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गयी. मालूम हो कि योगेंद्र ने 17 फरवरी को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में पत्रकार नगर थानाध्यक्ष ने बताया कि योगेंद्र पर क्या आरोप था और वेतन क्यों रोका गया था, उसकी जानकारी नहीं है. जांच के बाद ही मामला स्पष्ट होगा.
घटना के दिन अपराह्न् में पत्नी से हुई थी बात
दो साल से चल रहे तंगहाली के चलते योगेंद्र के परिवार की खुशियां बिखर गयी थी. रुपये के अभाव में बेटा गौरव की पढ़ाई बाधित हुई. घर के चूल्हे पर आंच आयी तो पति पत्नी में अक्सर विवाद होने लगा. वेतन को लेकर योगेंद्र घर और बाहर दोनों जगह संघर्ष करता रहा. धीरे-धीरे वह अवसाद ग्रसित हो गया. हालांकि घटना के दिन 17 फरवरी को योगेंद्र ने अपनी पत्नी से दिन के 3.20 बजे बात की थी. इसके बाद उसने आत्महत्या की. घटना के तीन दिन पूर्व उनकी पत्नी मोतिहारी से पटना मिलने आयी थी. उसके लौटने के बाद मंगलवार को यह वारदात हुई.
पटना के 80 पुलिसकर्मियों का दो साल से रुका हुआ है वेतन
दारोगा योगेंद्र की मौत को सीधे तौर पर आर्थिक तंगी से जोड़ कर देखा जा रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि लंबे समय से वेतन बाधित होने की समस्या से सिर्फ योगेंद्र ही प्रभावित नहीं था, बल्कि पटना जिले में अभी 80 पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिनका दो साल से वेतन रुका हुआ है. उनकी सुनी नहीं जा रही है. ऐसे में वरीय पुलिस पदाधिकारियों की यह अनदेखी सवाल खड़ा करती है और योगेंद्र की मौत के बाद अब यह मामला तूल पकड़ने लगा है. बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार ने कहा कि सभी मामलों में हाइकोर्ट व मानवाधिकार आयोग स्वत: संज्ञान लेता है, लेकिन पुलिसकर्मियों के वेतन से जुड़े इस मामले के प्रति किसी का ध्यान नहीं है. ऐसे पुलिसकर्मियों के परिवार व बच्चों का भी ख्याल नहीं किया जा रहा है. उन्होंने वेतन बाधित किये जाने का विरोध नहीं है, लेकिन मामलों का निबटारा भी जल्द होना चाहिए. इतने लंबे समय तक वेतन रोका जाना पुलिसकर्मियों के जीवन से खिलवाड़ करना है. उन्होंने मानवाधिकार आयोग को आवेदन देने की बात कही है.
आरोप लगा, तो बना दिया था जमादार
योगेंद्र की लाइफ में सब कुछ ठीक चल रहा था. दो साल पहले ड्यूटी के दौरान उन पर कुछ आरोप लगे और विभागीय कार्रवाई ने उसे मुश्किल में डाल दिया. उस समय वह पत्रकार नगर थाने में तैनात था. जांच में आरोप की पुष्टि हुई, तो उसका वेतन रोक दिया गया. यही नहीं, उसका डिमोशन कर उसे जमादार बना दिया गया. तभी से उसका वेतन रुका हुआ था. हालांकि इस दौरान उससे ड्यूटी ली जा रही थी. उसे पत्रकार नगर थाने से हटा कर ट्रैफिक पुलिस में कर दिया गया. इस बीच उसने माफीनामा भी दिया, उसके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस दौरान वह ड्यूटी करता रहा. यहां तक कि बुधवार को भी उसकी ड्यूटी सचिवालय में लगायी गयी थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें