को-ऑपरेटिव बैंक और एसएफसी के विवाद में पिस रहे गरीब गृहस्थअडवाइस और रिसिविंग के चक्कर में लटका है भुगतानफोटो-धान बेचकर भी किसान पैसे के लिए लगा रहे टकटकीको-ऑपरेटिव बैंक और एसएफसी के विवाद में पिस रहे गरीब गृहस्थअडवाइस और रिसिविंग के चक्कर में लटका है भुगतानफोटो-पहले मौसम की मार. फिर सरकार और नौकरशाहों की. बेचारे गरीब किसानों की हालत ऐसी दयनीय हो गई है कि किसी की बेटी की शादी रुक गई है तो किसी के जवान बेटे की पढाई. गृहस्थों को घर-बार चलाना मुश्किल हो गया है. जिले के किसान सरकार को धान बेचकर भी पैसे के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं. को-ऑपरेटिव बैंक और राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के बीच उपजे ताजा विवाद के कारण एक बार फिर से किसानों को महाजनों की देहरी पर दस्तक देने की लाचारी आन पड़ी है. कहा जा रहा है कि पहले सरकार को धान बेचने वाले किसानों को एसएफसी से मिले एडवाइस पर ही को-ऑपरेटिव बैंक की ओर से पैसे का भुगतान कर दिया जाता था. लेकिन इस बार उनकी आपसी खींचतान और भुगतान के तौर-तरीके बदल दिए जाने के कारण उन्हें अपने धान की सही कीमत के लिए मोहताज होना पड़ रहा है.
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धान बेचकर भी किसान पैसे के लिए लगा रहे टकटकी
को-ऑपरेटिव बैंक और एसएफसी के विवाद में पिस रहे गरीब गृहस्थअडवाइस और रिसिविंग के चक्कर में लटका है भुगतानफोटो-धान बेचकर भी किसान पैसे के लिए लगा रहे टकटकीको-ऑपरेटिव बैंक और एसएफसी के विवाद में पिस रहे गरीब गृहस्थअडवाइस और रिसिविंग के चक्कर में लटका है भुगतानफोटो-पहले मौसम की मार. फिर सरकार और नौकरशाहों की. बेचारे […]
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