बजट सत्र में राज्यपाल द्वारा अभिभाषण पढ़ने की सदन की परंपरा रही है बोम्मई कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति या राज्यपाल के यहां विधायकों की परेड बंद हो गयी थीसंवाददाता, पटना वर्ष 2000 में जब तत्कालीन राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय ने सदन में अभिभाषण पढ़ा, तब नीतीश कुमार ने कोई आपत्ति नहीं की थी. अब, जब केसरी नाथ त्रिपाठी 20 फरवरी को सदन में अभिभाषण पढं़ेंगे, तो क्यों आपत्ति की जा रही है? मंगलवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी पर जदयू के नेता नाहक आरोप लगा रहे हैं. बजट सत्र में राज्यपाल द्वारा अभिभाषण पढ़ने की सदन की परंपरा रही है. उनके अभिभाषण के बाद ही सदन की अन्य कार्यवाही होती है. मैं वर्ष 2000 में विधानसभा में वे विरोधी दल का नेता था. तब मेरी कुरसी पर लालू प्रसाद जा बैठे थे. मैंने उनसे आग्रह किया, तो बगल की कुरसी पर बैठ गये. उन्होंने राज्यपाल और राष्ट्रपति के यहां विधायकों की परेड कराने को भी गलत करार दिया. उन्होंने कहा कि बोमई के फैसले के बाद ही परेड कराना बंद हो गया है.
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जब विनोद चंद्र पांडेय ने अभिभाषण पढ़ा, तो नीतीश को क्यों नहीं हुई आपति?
बजट सत्र में राज्यपाल द्वारा अभिभाषण पढ़ने की सदन की परंपरा रही है बोम्मई कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति या राज्यपाल के यहां विधायकों की परेड बंद हो गयी थीसंवाददाता, पटना वर्ष 2000 में जब तत्कालीन राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय ने सदन में अभिभाषण पढ़ा, तब नीतीश कुमार ने कोई आपत्ति नहीं की थी. […]
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