पटना: विधानसभा की शून्यकाल समिति ने कहा है कि इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के निदेशक इस पद के योग्य नहीं हैं. समिति ने यह टिप्पणी संस्थान के चिकित्सकों को दी जानेवाली कालबद्ध प्रोन्नति के मामले को लेकर की है. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इतने छोटे मामले का हल निकालने में निदेशक सक्षम नहीं हैं, तो इसका एक ही अर्थ है कि वे इस पद के योग्य नहीं हैं. यह रिपोर्ट विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान सदन में पेश की गयी है.
पारदर्शिता का घोर अभाव
समिति के सभापति अवनीश कुमार सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव से जांच कर प्रतिवेदन देने को कहा है. चिकित्सकों के प्रोन्नति संबंधी आवेदनों पर पड़ताल करने गयी कमेटी ने चिकित्सकों का पक्ष जाना. कमेटी सात दिसंबर, 2012 को संस्थान गयी और चिकित्सकों से निर्धारित फॉर्मेट में सूचना उपलब्ध कराने को कहा.
इसमें डॉ अमरेंद्र कुमार, डॉ प्रकाश कुमार दूबे, डॉ विजय कुमार, डॉ वीएम दयाल, डॉ संजय कुमार सुमन, डॉ अशोक कुमार, डॉ संतोष कुमार, डॉ विनोद कुमार वर्मा, डॉ अजीत गुप्ता, डॉ कुमार हरिहर राघवेंद्र, डॉ ओम कुमार, डॉ बिंदे कुमार, डॉ आनंद शरण, डॉ राजेश कुमार, डॉ नम्रता कुमारी, डॉ संजय कुमार, डॉ संजीव कुमार व डॉ प्रेम कुमार ने लिखित सूचना उपलब्ध करायी. कमेटी ने कहा है कि आइजीआइएमएस में पारदर्शिता का घोर अभाव है.
24 चिकित्सकों में अधिसंख्य की प्रोन्नति पर दो, तीन व चार साल तक विचार नहीं किया गया. पर्सनल प्रोमोशन असेसमेंट बोर्ड और स्क्रीनिंग कमेटी व साक्षात्कार के पैनल तीनों ही के अध्यक्ष-संयोजक निदेशक हैं. साथ ही वे प्रशासनिक प्रधान भी हैं. प्रशासनिक प्रधान के अनुमोदन के बाद ही चिकित्सकों की प्रोन्नति का मामला बोर्ड में रखा जा सकता था. जो चिकित्सक वर्षो से हजारों मरीजों की सेवा कर रहे थे, उन्हें प्रोन्नति नहीं दी गयी. अनुसूचित जाति के चिकित्सकों को प्रोन्नति नहीं देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. समिति ने कहा है कि प्रोन्नति के लिए साक्षात्कार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है .