क्या किसी को नहीं मालूम है? राज्यपाल द्वारा 20 फरवरी को बहुमत साबित करने के लिए समय दिये जाने पर नीतीश कुमार द्वारा सवाल उठाये जाने पर उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सही निर्णय लिया है. नीतीश कुमार को याद करना चाहिए तीन मार्च,2000 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उन्हें 10 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने का समय दिया गया था.तब उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की थी. आज महादलित मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए यदि राज्यपाल सात दिनों का वक्त दे रहे हैं, तो उन्होंने आसमान सिर पर उठा लिया है? वह बिना अनुमति के राष्ट्रपति के समक्ष विधायकों की परेड तक कराने में नहीं चूक रहे हैं. आखिर जदयू क्यों परेशान है? आज वह राज्यपाल और राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दे रहे हैं.
मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार भाजपा को छोड़ किसी के साथ लंबे समय तक किसी के साथ नहीं रहें. ऐसा कोई सगा नहीं,जिसे नीतीश ने ठगा नहीं. महादलित को उन्होंने जदयू विधायक दल की सहमति के बिना यह समझ कर सीएम बनाया था कि वह उनकी जेब में रहेंगे, लेकिन जब मांझी जी दलित-महादलितों के आइकॉन बनने लगे,तब उन्होंने उनका विरोध करना शुरू कर दिया. नीतीश कुमार ने छह माह इंतजार करने के बजाय अपने ही मुख्यमंत्री को हटाने का प्रयास शुरू कर दिया. सीएम पद छोड़ते वक्त नीतीश कुमार ने घोषणा की थी जनादेश मिलेगा,तभी वह सीएम बनेंगे.