दिल्ली/पटना: शनिवार की रात को दिल्ली पहुंच कर मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को अवैधानिक बैठक के जरिये नेता चुना गया है. विधायकों को दबाव में बुला कर साइन कराया गया है. उन्होंने कहा कि मैं अभी मुख्यमंत्री हूं व सदन में बहुमत साबित करूंगा. नीतीश कुमार को सत्ता के लिए बेचैन बताते हुए कहा कि यदि उन्हें दलित प्रेम है तो खुद नेता क्यों बने, किसी दलित को बनाते. भाजपा के समर्थन के मुद्दे पर मांझी ने कहा कि जदयू में ही बहुमत है तो दूसरे के पास क्यों जाऊं.
इसके पहले सुबह सुलह की कोशिशें नाकाम रहने के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कैबिनेट की आपात बैठक में बुलायी, जिसमें विधानसभा भंग करने की सिफारिश के लिए सीएम मांझी को अधिकृत किया गया. इसके बाद मांझी ने नीतीश समर्थक 15 और मंत्रियों को बरखास्त करने की सिफारिश राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को भेज दी. इतना ही नहीं राज्यपाल से उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि वह जदयू अध्यक्ष शरद यादव की ओर से बुलायी गयी विधायक दल की बैठक में लिये गये निर्णयों पर कोई कार्रवाई नहीं करे.
देर शाम उन्होंने मुख्य सचेतक पद से श्रवण कुमार को हटा कर उनकी जगह राजीव रंजन को नया मुख्य सचेतक नियुक्त किया. इसका पत्र उन्होंने स्पीकर को भेजा दिया. इधर, नीतीश समर्थक 20 मंत्रियों ने राज्यपाल को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंपा दिया. कैबिनेट की बैठक में कुल 26 मंत्री उपस्थित हुए. मांझी पक्ष में मुखर रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने विधानसभा भंग करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का प्रस्ताव रखा. इसके समर्थन में सात मंत्री रहे, जबकि 21 मंत्रियों ने विरोध किया. लेकिन, जब मांझी समर्थक मंत्रियों ने इसे नहीं माना, तो नीतीश के समर्थक 19 मंत्री कैबिनेट की बैठक से बाहर निकल आये. मांझी के समर्थन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह, शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल, ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र, नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी, पीएचइडी मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह, कला-संस्कृति मंत्री विनय बिहारी और उद्योग मंत्री डॉ भीम सिंह अंत समय तक डटे रहे. 19 मंत्री बैठक से निकल कर सीधे नीतीश कुमार के आवास पर पहुंचे. इन मंत्रियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को फैक्स भेज कर कहा है कि वह आप मुख्यमंत्री की अनुशंसा को संज्ञान में नहीं लें. कैबिनेट की बैठक में बिहार विधानसभा को भंग करने की अनुशंसा के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने के प्रस्ताव को दो तिहाई से अधिक बहुमत अस्वीकृत कर दिया गया है. मंत्रियों ने कहा कि ऐसी आशंका है कि इसके बावजूद मांझी विधानसभा को भंग करने की अनुशंसा कर सकते हैं, जो पूर्णतया असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक होगी.
बाद में नीतीश कुमार के खेमे के 20 मंत्रियों ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. नीतीश कुमार के आवास 7 सकरुलर रोड से दो मंत्री श्रवण कुमार और दामोदर राउत सभी 20 मंत्रियों का इस्तीफा लेकर राज्यभवन पहुंचे और राज्यपाल की अनुपस्थिति में उनके प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र को सौंप दिया. इसके बाद पत्रकारों से श्रवण कुमार ने राज्यपाल के पटना आते ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा जदयू पेश करेगा. नैतिकता के आधार पर हमने इस्तीफा दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद ने लिखित रूप से समर्थन देने की सहमति दे दी है. जदयू के 97, राजद के 25 और कांग्रेस के पांच विधायकों को मिला दें, तो कुल आंकड़ा बहुमत से कहीं ज्यादा पहुंच जाता है.
इससे पहले सुबह मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से सभी मंत्रियों के कार्यालय में अचानक कैबिनेट की बैठक की सूचना दी गयी. बैठक दोपहर ठीक दो बजे बैठक शुरू होनी थी. इसी बीच दोपहर 12:15 बजे अचानक मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक अणो मार्ग के पिछले दरवाजे से निकल कर नीतीश कुमार के आवास सात सकरुलर रोड़ पहुंच गये. पहले मुख्यमंत्री पौने दो घंटे तक नीतीश कुमार के आवास पर रहे. जैसे ही दोपहर दो बजे सात सकरुलर रोड़ से निकले और एक अणो मार्ग कैबिनेट की बैठक शुरू कर दिया.
विधानसभा भंग के प्रस्ताव विरोध में उतरे मंत्री
विजय कुमार चौधरी, विजेंद्र प्रसाद यादव, नरेंद्र नारायण यादव, श्याम रजक, दामोदर रावत, मनोज कुमार सिंह, बैजनाथ सहनी,अवधेश प्रसाद कुशवाहा, नौशाद आलम, जावेद इकबाल अंसारी, रामधनी सिंह, श्रवण कुमार, लेसी सिंह, बीमा भारती, रंजू गीता, दुलालचंद गोस्वामी, विनोद प्रसाद यादव, जय कुमार सिंह और राम लखण राम रमण.
मुख्य सचेतक के लिए चाहिए स्पीकर की सहमति
किसी दल के विधायक को मुख्य सचेतक बनाये जाने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष की सहमति आवश्यक है. स्पीकर की सूचना के बाद संसदीय कार्य विभाग इसकी अधिसूचना जारी करता है. लेकिन, श्रवण कुमार की जगह मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राजीव रंजन को मुख्य सचेतक नियुक्त करने की घोषणा की है. यह तभी वैध होगा जब स्पीकर इसके लिए विधिवत राजी हों.